अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दूरी मिटाने काम आया राहुल का फार्मूला

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नई दिल्ली : राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजस्‍थान में पिछले कई महीनों से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का पुराना झगड़ा आखिरकार सुलझा लिया है। बताया जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोतऔर सचिन पायलट के बीच सुलह हो गई है।

पार्टी आलाकमान के साथ करीब चार घंटे की लंबी चर्चा के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है। निश्चित रूप से हम राजस्थान में चुनाव जीतेंगे। यह भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त लड़ाई होगी।

बताया जा रहाहै कि 29 मई को खरगे के घर करीब चार घंटे तक चारों नेताओं के बीच मंथन चलता रहा। खरगे और राहुल गांधी ने पायलट और गहलोत से अलग-अलग भी बात की। मीटिंग में फैसला हुआ कि दोनों नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। बैठक के बाद गहलोत और पायलट दोनों नेताओं ने कुछ नहीं कहा। अभी ये साफ नहीं हुआ कि दोनों के बीच सुलह किन शर्तों पर हुई है। मीटिंग में क्या हुआ ये जानकारी दी कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने दी।

इससे पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा राहुल गांधी से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने खरगे से उनके आवास पर शाम करीब छह बजे मुलाकात की। कुछ मिनट बाद राहुल गांधी भी बैठक में शामिल हुए। दोनों नेताओं ने गहलोत के साथ करीब आधे घंटे तक विचार-विमर्श किया।

इसके बाद पार्टी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा को बुलाया गया। करीब दो घंटे बाद पायलट बैठक में शामिल हुए। लंबे अरसे के बाद यह पहली बार है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और उनके पूर्व डिप्टी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में आमने-सामने बैठे। बैठक में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान से नेता जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

पार्टी नेतृत्व विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान इकाई में अंदरूनी कलह को दूर करने और दोनों नेताओं के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए भी कड़ी मशक्कत कर रहा था। इससे पहले सचिन पायलट को लेकर चल रही ‘फॉर्मूले’ वाली खबरों पर गहलोत ने कहा कि कोई भी नेता कोई चीज मांगे या आलाकमान पूछे कि आप कौन सा पद लेंगे, ऐसा रिवाज मैंने नहीं देखा है और ऐसा कभी होता नहीं है।

फॉर्मूले की खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल मीडिया की दिमाग की उपज है। हो सकता है कि कुछ नेता इस तरह की कहानियां रच रहे हों। कांग्रेस में अब तक न कभी ऐसा हुआ है और न भविष्य में होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और आलाकमान बहुत मजबूत है तथा किसी भी नेता या कार्यकर्ता में किसी पद की मांग करने की हिम्मत नहीं है। पार्टी में ऐसा नहीं होता है।

बता दें कि राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में दिसंबर 2023 से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर की संभावना है। राज्य में दो दशक तक बीजेपी नेता वसुंधरा राजे का दबदबा माना जाता रहा था, लेकिन अब बीजेपी राजस्थान में नया नेतृत्व तलाश कर रही है।

विदित हो कि दिसंबर 2018 विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी को 2023 चुनाव में यहां सत्ता में वापसी करने की उम्मीद है तो वहीं सीएम गहलोत चाहेंगे कि यहां कांग्रेस की सरकार बरकरार रहे।

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