लॉन्च के लिए चंद्रयान-3 रॉकेट में तैनात, जानिए ISRO के बड़े मिशन के बारे में

0 169

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 मिशन की तैयारियां इसरो में जोर-शोर से चल रही हैं. चंद्रयान-3 को रॉकेट के ऊपरी हिस्से में रख गया है. इसके बाद उसे असेंलबिंग यूनिट में ले जाकर जीएसएसवी-एमके3 (GSLV-MK3) रॉकेट से जोड़ दिया गया है. भारत के लिए यह एक बेहद रोमांचक क्षण है. जबकि चंद्रयान-3 देश का सबसे महत्वकांक्षी स्पेस मिशन.

पहले दो चंद्र अभियानों के बाद यह तीसरा प्रयास है. इस मिशन को 12 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा. संभावित लॉन्च डेट 13 जुलाई 2023 है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो इसे आंध्र प्रदेश के तट पर मौजूद श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा. लॉन्चिंग के लिए जिस रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसका नाम जीएसएलवी-एमके3 (GSLV-MK3) है.

चंद्रयान-3 मिशन इसरो के चंद्रयान-2 मिशन का फॉलो-अप मिशन है. यानी पिछली बार जो गलती हुई थी. उसे सुधारने और अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का मिशन. यह मिशन 75 करोड़ रुपए का है. चंद्रयान-3 मिशन में इस बार एक लैंडर और रोवर जा रहा है. चंद्रयान-2 की तरह इस बार ऑर्बिटर नहीं जा रहा है.

ऑर्बिटर यानी जो चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाता है. लैंडर यानी वो चौपाया यंत्र जो स्पेसएक्स के रॉकेट की तरह जमीन पर उतरेगा. इसके अंदर रखा रहेगा रोवर. यह रोवर मतलब चलने वाला यंत्र. इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ के अनुसार चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध या दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग कराया जाएगा.

चंद्रयान-3 मिशन को GSLV-MK3 रॉकेट से अंतरिक्ष में 100 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में छोड़ा जाएगा. यह रॉकेट करीब 6 मंजिला ऊंची इमारत जितना लंबा है. यह तीन स्टेज का रॉकेट है. इसका वजन 640 टन है. यह अपने साथ 37 हजार किलोमीटर ऊंची जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 4000 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट ले जा सकता है.

वहीं, 160 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई वाली लोअर अर्थ ऑर्बिट में 8000 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट छोड़ सकता है. चंद्रयान-3 मिशन का कुल वजन 3900 किलोग्राम है. जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल 2148 किलोग्राम का है. जबकि लैंडर मॉड्यूल 1752 किलोग्राम है. रोवर का वजन 26 किलोग्राम है.

चंद्रयान-3 में किसी तरह का ऑर्बिटर नहीं है. क्योंकि इसरो चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर से चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जरिए संपर्क साधेंगे. लैंडर-रोवर से मिली जानकारी को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के जरिए या सीधे लैंडर के जरिए इसरो का डीप स्पेस नेटवर्क रिसीव करेगा.

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य?

चंद्रयान-3 के लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना.
रोवर को चांद की सतह पर चला कर दिखाना.
लैंडर और रोवर की मदद से साइंटिफिक जांच-पड़ताल करना.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.