नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाने की तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर पाना इतना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कानून जन आक्रोश की एक वजह भी बन सकता है. उन्होंने यह भी कहा है कि मोदी सरकार को इस विषय में सोचना भी नहीं चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. केंद्र सरकार ने नागरिक संहिता पर एक GoM का गठन किया है, जिसका नेतृत्व किरेन रिजिजू कर रहे हैं.
विपक्ष का कहना है कि यह बीजेपी की सियासी एजेंडा है, जिसे आधार बनाकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा. इस्लामिक संगठनों को समान नागरिक संहिता से ऐतराज है. गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘यह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है. इसमें सभी धर्म हैं, न केवल मुस्लिम, बल्कि इसमें सिख, ईसाई, आदिवासी, जैन और पारसी भी हैं. एक ही समय में इतने सारे धर्मों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा. इस सरकार को मेरी सलाह है कि उन्हें ऐसा कदम उठाने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए.’
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जब 2018 में विधानसभा भंग कर दी गई थी, तब से हम जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. चुने हुए प्रतिनिधि विधायक बनें और वही सरकार चलाएं क्योंकि चुने हुए प्रतिनिधि ही लोकतंत्र में कई काम कर सकते हैं. लोकतांत्रिक देश में कहीं भी 6 महीने से ज्यादा अफसरों को सरकार नहीं चलानी चाहिए.’ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी दलों ने भी समान नागरिक संहिता को लेकर आशंकाएं जाहिर की हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एक सिरे से खारिज कर चुका है.