नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बासमती चावल (Rice) को छोड़कर सभी तरह के कच्चे (raw) चावल के निर्यात (export) पर बैन (ban) लगाया है. ग्लोबल मार्केट में खाद्य कीमतों में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है. कई देशों में इसका असर भी दिखना शुरू हो गया है. नेपाल भी इससे प्रभावित हुआ है. अब, भारत सरकार ने नेपाल को इस प्रतिबंध से बाहर रखने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल के निर्यात पर बैन लगाया है. हालांकि, ये प्रतिबंध नेपाल पर लागू नहीं होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार यानी 5 अप्रैल को नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड से इस बारे में टेलीफोन पर बातचीत भी की है. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि चावल निर्यात पर प्रतिबंध से नेपाल को अलग रखा जाएगा.
नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए प्रसन्नता जाहिर की है. भारत से नेपाल में चावल का निर्यात पहले की तरह ही जारी रहेगा. साथ ही नेपाल में अन्य खाद्य सामग्रियों की भी कमी नहीं होने देने का आश्वासन भी भारत की तरफ से दिया गया है. भारत सरकार के तरफ से गैर बासमाती चावल के निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाया था उसका असर नेपाल में दिखने लगा था. नेपाल सरकार ने देश में तीन महीने का भंडारण रहने के बावजूद कालाबाजारी और मूल्यवृद्धि के चलते भारत से 10 लाख मीट्रिक टन धान, 1 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने का फैसला किया था.
प्रधानमंत्री के प्रेस सल्लाहकार गोविंद आचार्य ने बताया कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में आग्रह किया. प्रधानमंत्री मोदी ने तत्काल नेपाल को चावल निर्यात के प्रतिबंध से अलग रखने और निर्यात को सहज बनाने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा भारतीय प्रधानमंत्री ने ऊर्जा के क्षेत्र में नेपाल और भारत के बीच हुए 10 हजार मेगावाट बिजली खरीद के समझौते को जल्द ही भारतीय कैबिनेट से पारित करने की जानकारी भी दी है.
हाल ही में केंद्र सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल के निर्यात पर बैन लगाया है. ये फैसला आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू डिमांड में बढ़ोतरी और खुदरा कीमतों पर नियंत्रण को ध्यान में रखकर लिया गया है.देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है.
पिछले कुछ सप्ताह से देश के भीतर चावल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखी हुई है, इस महीने चावल के दाम में 10 से 20 फीसदी तक का उछाल देखा गया है. इसके अलावा मौसम की अनिश्चितता के चलते भी इस बार धान की पैदावार कम हो सकती है. बाढ़ और सूखे की स्थिति के चलते पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्यों में धान की कम बुआई हो पाई है. जबकि पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ धान का बड़ा उत्पादक राज्य है. ऐसे में आने वाले वक्त में चावल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
ग्लोबल मार्केट चावल निर्यात में भारत की 40 फीसदी हिस्सेदारी है. इसमें भी गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है. ऐसे में भारत के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से ग्लोबल मार्केट में खाद्य कीमतों में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है. कई देशों में इसका असर भी दिखना शुरू हो गया है.