कैलाश मानसरोवर यात्रा में चीन बन रहा रोड़ा, भारत खोज रहा नया विकल्प; बनाएगा नई टनल

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नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर चीन के तरफ से अभी तक कोई सिग्नल नहीं मिला है, लेकिन भारत सरकार उत्तराखंड के रास्ते वैकल्पिक रूट पर काम कर रही है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते के लिए एक टनल की प्लानिंग पर काम कर रहा है।

इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि सीमा सड़क संगठन (BRO) ने पिथौरागढ़ जिले के नाभीढांग में केएमवीएन हट्स से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक सड़क काटने का काम शुरू कर दिया है, जो सितंबर तक पूरा हो जाएगा। बीआरओ के डायमंड प्रोजेक्ट के एक चीफ इंजीनियर की मानें तो ‘हमने नाभीढांग में केएमवीएन हट्स से लिपुलेख दर्रा तक लगभग साढ़े 6 किलोमीटर लंबी सड़क को काटने का काम शुरू कर दिया है।’ सड़क पूरी होने के बाद सड़क के किनारे ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ तैयार हो जाएगा।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम की राज्य सरकारों के सहयोग से आयोजित की जाती है और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) का सहयोग से होती है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) और उनके सहयोगी संगठन भारत में यात्रियों के प्रत्येक बैच के लिए सहायता और सुविधाएं प्रदान करते हैं। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट इस यात्रा के लिए आवेदकों के फिटनेस स्तर को निर्धारित करने के लिए चिकित्सा परीक्षण आयोजित करता है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की लागत आपके चुने रास्ते पर निर्भर करता है। लिपुलेख मार्ग में प्रति व्यक्ति करीब 1.5 लाख रुपये का खर्च आता है। लगभग 25 दिन लग जाते हैं। दूसरे रूट में 1.7 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है खर्च आ जाता है।

लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा आखिरी बार 2019 में आयोजित की गई थी। हालांकि यात्रा इस साल फिर से शुरू हुई, लेकिन इसमें वीजा के नियमों को काफी कड़ा किया गया था। इसके अलावा, ये यात्रा चीन से होकर जाती थी जो जिसमें लगातार खर्चा बढ़ता जा रहा था। इसी से बचने के लिए तीर्थयात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने का काम किया गया।

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