विश्वकर्मा योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये स्वीकृत, 30 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ

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नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (16 अगस्त) को 4 प्रमुख पहलों को मंजूरी दे दी, जिसमें पीएम विश्वकर्मा योजना भी शामिल है, जिसका उद्देश्य लाखों पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ पहुंचाना है और पीएम-ईबस सेवा, जिसका उद्देश्य सिटी बस संचालन में सुधार करते हुए हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना है। कैबिनेट की मंजूरी पाने वाली अन्य दो योजनाएं डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का विस्तार और भारतीय रेलवे की सात मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं हैं। विश्वकर्मा योजना, जिसके लिए पांच साल की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है, का उद्देश्य बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लगभग 30 लाख परिवारों को लाभ पहुंचाना है।

बता दें कि, पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से घोषणा की थी कि यह योजना 17 सितंबर को शुरू की जाएगी। कारीगरों और शिल्पकारों को 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही सरकार आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपये तक की सहायता भी देगी। कैबिनेट ने हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने और उन शहरों के साथ बस कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए पीएम-ईबस सेवा को भी मंजूरी दे दी, जहां कोई संगठित सेवा नहीं है।

57,613 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर 169 शहरों में 10,000 ई-बसें तैनात की जाएंगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा वहन किए जाएंगे। यह योजना तीन लाख या उससे अधिक की आबादी वाले शहरों को कवर करेगी और 10 वर्षों तक बस संचालन का समर्थन करेगी। सरकार ने कहा कि राज्य/शहर बस सेवाएं चलाने और बस ऑपरेटरों को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे, जबकि केंद्र सब्सिडी प्रदान करेगा।

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