नई दिल्ली: देश के पहले सूर्य मिशन का काउंटडाउन शुरू हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर इसे लॉन्च करने की तैयारी पूरी कर ली है। सूर्य को समझने के लिए छोड़ा जाने वाला यान पीएसएलवी-सी57 रॉकेट से छोड़ा जाएगा। उपग्रह लैंग्रेज पॉइंट-1 में स्थापित होगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के अनुसार आदित्य एल-1 करीब 125 दिनों का सफर पूरा करने के बाद अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचेगा। इटली और फ्रांस के गणितज्ञ जेसेफी लुई लैंग्रेज के सम्मान में इस पॉइंट का नाम लैंग्रेज पॉइंट-1 रखा गया है।
आदित्य एल-1 पूर्ण स्वदेशी
आदित्य एल-1 मिशन पूर्ण रूप से स्वदेशी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले अधिकतर उपकरण का देश में ही निर्माण हुआ है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की अहम भूमिका है। इसी ने विजिबल एमिशन लाइन कॉर्नोग्राफ (वीईएलसी) पेलोड तैयार किया है। इसी तरह पुणे के यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पे-लोड बनाया है।
आदित्य L1 आज भरेगा सूर्य के लिए उड़ान
रहस्यों से पर्दा उठाएगा मिशन
1. सूर्य वायुमंडल के तापमान से जुड़ी गतिविधियों पर नजर।
2. यूवी पेलोड और एक्स-रे पेलोड से सूर्य किरणों की निगरानी
3. सौर्य वायुमंडल में गर्मी के रहस्य से जुड़ी जानकारी मिलेगी
4. अंतरिक्ष के तापमान में सूर्य व किरणों की भूमिका क्या है
5. सूर्य की भौगोलिक और पर्यावरण से जुड़ी स्थिति पर नजर
सूर्य मिशन के फायदे
1. सौर्य गतिविधियों और उससे जुड़े मौसम पर निगरानी हो सकेगी।
2. सूरज की तरफ से होने वाले मौसम में बदलाव पर नजर संभव।
3. सूर्य के तापमान का उपग्रहों पर क्या असर पड़ता है पता चलेगा।
4. सूर्य की गर्मी से उपग्रहों व उपकरणों का जीवन चक्र पता चलेगा।
सूर्य मिशन की चुनौतियां
1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर से अधिक है।
2. अंतरिक्ष में इस उपग्रह के टकराने की भी संभावना सबसे अधिक।
3. सूर्य के तापमान और भीषण गर्मी से मिशन को खतरा ज्यादा है।
4. उपग्रह में लगे उपकरण कितना सटीक काम करते हैं ये भी अहम।
कितनी गर्मी झेलेगा आदित्य एल-1
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने एक हजार डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्मी झेली थी। इसके बावजूद वो पूरी तरह से क्रियाशील था। इसरो के अनुसार आदित्य एल-1 को इतनी गर्मी नहीं झेलनी होगी क्योंकि वो नासा के मिशन की तुलना में सूर्य से काफी दूर होगा। भारत ने सभी सुरक्षा नियमों का ध्यान रखकर आदित्य एल-1 को तैयार किया है।
छह दशक में 22 मिशन भेजे गए
भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला मिशन भेज रहा है। दुनियाभर में बीते छह दशक में सूर्य से जुड़े कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अकेले 14 मिशन भेजे हैं। नासा ने 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इसका मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का नमूना लेना था।
एल-1 पॉइंट कई उपग्रहों का ठिकाना
एल-1 पॉइंट नासा और यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी सैटेलाइट (एसओएचओ) उपग्रह का ठिकाना है। इसी तरह नासा ने वर्ष 2018 में सूर्य पर नजर रखने के लिए पार्कर सोलर प्रोब छोड़ा था। वर्ष 1976 में नासा और जर्मनी ने भी सूर्य से जुड़े रहस्यों को समझने के लिए हेलियोज-2 उपग्रह छोड़ा था।
सात पेलोड को समझें…
1. वीईएलसी: विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स ने तैयार किया है। इसे सूरज की एचडी फोटो लेने के लिए तैयार किया गया है। इस पेलोड में लगा क हाई रेजोल्यूशन तस्वीरे लेने में सक्षम है।
2. पीएपीए: प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पापा) सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉक्न्स और भारी आयन की दिशाओं का अध्ययन करेगा। सूरज की हवाओं में कितनी गर्मी है और कणों के वजन से जुड़ी जानकारी मिलेगी।
3. एसयूआईटी: सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप एक अल्ट्रावायलेट टेलीस्कोप है। ये पेलोड सूरज की अल्ट्रावायलेट तस्वीरों को कैद करेगा। ये पेलोड सूरज के फोटो स्फेयर और क्रोमोस्प्ऊेयर की तस्वीरे लेने का काम करेगा।
4. एसओएलईएक्सएस: सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाले एक्स-रे और उसमें आने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा। ये पेलोड सूरज से निकलने वाली सौर लहरों पर नजर रखेगा और उससे जुड़े जरूरी आंकड़े जुटाएगा।
5. एचईएल10एस: ये एक हार्ड- एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर है। वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि वो हार्ड एक्स-रे किरणों यानी सौर लहरों से निकलने वाली हाई- एनर्जी एक्स-रे का अध्ययन करेगा।
6. एएसपीईएक्स: इसमें कुल दो पेलोड एकसाथ काम करेंगे। पहला आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है। ये सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटॉन्स और अल्फा पार्टिकलस् का अध्ययन करेगा। दूसरा पेलोड सुपरथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल (स्टेप्स) है जो सौर हवाओं में आने वाले ज्यादा ऊर्जा वाले आयन पर शोध करेगा।