देश के 264 प्रतिष्ठित नागरिकों ने CJI को लिखा पत्र, उदयनिधि के खिलाफ कार्रवाई की मांग

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नईदिल्ली : देश के विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के 14 पूर्व न्यायाधीशों, 130 पूर्व नौकरशाहों और 118 रिटायर्ड आर्म्ड फोर्सेज ऑफिसर्स सहित देश के 264 प्रतिष्ठित नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के विवादास्पद बयान को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में देश के इन 264 प्रतिष्ठित नागरिकों ने शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में सीजेआई से उदयनिधि स्टालिन के नफरत भरे भाषण पर ध्यान देने और उनके खिलाफ स्वत: कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

पत्र में सनातन धर्म का महत्व बताने के साथ-साथ हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का जिक्र करते हुए यह कहा गया है कि उदयनिधि स्टालिन ने न सिर्फ हेट स्पीच दिया है बल्कि उन्होंने अपने इस बयान के लिए माफी तक मांगने से इंकार कर दिया है।

पत्र में सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग करते हुए यह भी कहा गया है कि चूंकि तमिलनाडु की राज्य सरकार ने एक्शन लेने से इंकार कर दिया है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को आगे बढ़कर तमिलनाडु सरकार की निष्क्रियता और उदयनिधि स्टालिन के हेट स्पीच पर कार्रवाई करनी चाहिए।

जिन 264 शख्सियतों ने सीजेआई को पत्र लिखा है, उसमें तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के पूर्व जज शामिल हैं। इसके साथ ही, पूर्व विदेश सचिव, यूपी के पूर्व डीजीपी, भारत सरकार के पूर्व सचिव, पूर्व रॉ प्रमुख, सीवीसी के पूर्व सचिव, पंजाब, यूपी और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शामिल हैं।

इसके साथ ही, इनकम टैक्स के पूर्व कमिश्नर, यूनेस्को के पूर्व डायरेक्टर, इनकम टैक्स के पूर्व चीफ कमिश्नर, मध्य प्रदेश और दिल्ली के पूर्व सचिव, ओडिशा के पूर्व स्पेशल सीक्रेटरी, झारखंड के पूर्व आईजी, पूर्व आईपीएस और कंपनी लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य शामिल हैं। पत्र लिखने वालों में 118 आर्म्ड फोर्सेज के अधिकारी भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी। उन्होंने कहा था कि जिस तरह डेंगू और मलेरिया का विरोध नहीं किया जा सकता, उसे खत्म करना पड़ता है। उसी तरह सनातन धर्म का केवल विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे खत्म करना चाहिए।

उदयनिधि के बयान से चेन्नई से लेकर दिल्ली तक बवाल मच गया है। भाजपा ने बयान की कड़ी निंदा करते हुए माफी की मांग की है। इसके साथ ही, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और शरद पवार जैसे विपक्षी नेताओं से मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।

हालांकि, उदयनिधि स्टालिन अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है। मैं अपने बयान पर दृढ़ता से कायम हूं। मैं किसी भी तरह की चुनौती से निपटने के लिए तैयार हूं।

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