परमहंस आचार्य ने उदयनिधि का सिर काटने पर रखा 10 करोड़ का इनाम

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अयोध्या: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर टिप्पणी का विवाद अब बढ़ता ही जा रहा है. उत्तर प्रदेश के एक संत ने उदयनिधि का सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने का ऐलान कर दिया है. अयोध्या के संत परमहंस आचार्य ने यह घोषणा एक वीडियो में की है, जिसमें वे एक हाथ में उदयनिधि का पोस्टर और दूसरे हाथ में तलवार पकड़े हुए दिखे हैं. उन्होंने प्रतीकात्मक तौर पर पोस्टर में उदयनिधि का सिर काटने के बाद उसमें आग भी लगाई है.

परमहंस आचार्य पहले फिल्म स्टार शाहरुख खान को भी जिंदा जलाने की घोषणा कर चुके हैं. इसके अलावा भी वे विवादित घोषणाएं करते रहते हैं. उनकी सिर काटने की घोषणा पर उदयनिधि ने भी प्रतिक्रिया दी है. परमहंस आचार्य की इस घोषणा पर उदयनिधि ने बेहद मजाकिया रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा है कि मेरे सिर पर कंघी करने के लिए महज 10 रुपये की कंघी खरीदना ही काफी है. दरअसल तमिल भाषा में चॉप करना या स्लाइस करना का एक अर्थ बालों में कंघी करना भी होता है.

तमिलनाडु सरकार में खेल मंत्री उदयनिधि ने दो दिन पहले एक कार्यक्रम में सनातन धर्म पर कमेंट किया था. उन्होंने एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होगा. मच्छर, डेंगू बुख़ार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीज़ें हैं जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते हमें इन्हें मिटाना होगा. सनातन भी ऐसा ही है. उसका भी समूल नाश करना होगा.

उदयनिधि के इस बयान की पूरे देश में आलोचना हो रही है. भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इसे हिंदुओं के सामूहिक नरसंहार का आह्वान बताया है. इसके बावजूद उदयनिधि अपने बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. PTI के मुताबिक, उदयनिधि के इस बयान से नाराज होकर अयोध्या के संत परमहंस आचार्य ने उनका सिर काटने पर इनाम रखा है. अयोध्या के तपस्वी छावनी मंदिर के मुख्य पुजारी परमहंस आचार्य ने कहा, जो कोई भी स्टालिन का सिर काटकर मेरे पास लाएगा, उसे मैं 10 करोड़ रुपये का नकद इनाम दूंगा. अगर किसी ने स्टालिन को मारने की हिम्मत नहीं की, तो मैं खुद उसे ढूंढूंगा और मार डालूंगा.

मूल रूप से बिहार के रहने वाले जगद्गुरु परमहंस आचार्य का पालन-पोषण मध्य प्रदेश के सीधी जिले में हुआ है, जहां उनके माता-पिता बिहार से आकर बस गए थे. करीब तीन दशक पहले परमहंस आचार्य का परिवार अयोध्या घूमने आया. यहां आकर 17 साल के परमहंस का मन ऐसा रमा कि उन्होंने वैराग्य धारण कर लिया और वापस नहीं गए. सरयू किनारे कुटिया बनाकर रहने वाले परमहंस ने साल 2009 में महंत नृत्यगोपाल दास को अपना गुरू बनाया. इसके बाद 2012 में पीठाधीश्वर सर्वेश्वर दास छावनी मठ के महंत बने तो परमहंस ने उनसे भी दीक्षा लेकर उन्हें दूसरा गुरु बना लिया. तब से वे छावनी मठ में ही रहते हैं.

साल 2018 में परमहंस आचार्य ने अयोध्या राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन किया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर अपने हाथों से जूस पिलाकर अनशन खत्म कराया था. साल 2021 में परमहंस आचार्य एक बार आत्मदाह की भी कोशिश कर चुके हैं. यह कोशिश उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपनी मांग पूरी नहीं होने पर की थी. पुलिस ने उनके चिता पर चढ़ने से पहले गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया था. परमहंस आचार्य साल 2022 में लखनऊ के लुलु मॉल में भी विवाद में फंस चुके हैं. परमहंस आचार्य मॉल के अंदर नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आने पर वहां अपने चेलों के साथ पहुंच गए थे. उनका कहना था कि नमाज पढ़ने से मॉल अशुद्ध हो गया है, जिसका शुद्धिकरण जरूरी है. पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया था, जिस पर खूब हंगामा हुआ था.

उदयनिधि का सिर काटने पर 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा करने वाले परमहंस आचार्य ऐसी ही घोषणा फिल्म स्टार शाहरुख खान के लिए भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि शाहरुख खान को मैं ढूंढ रहा हूं. जिस दिन वो मिलेगा, उस जिहादी की चमड़ी उधेड़कर जिंदा जला डालूंगा. यदि कोई सनातनी शेर ऐसा करता है तो उसके परिवार की आर्थिक मदद मैं करूंगा.

अयोध्या में राम जन्म भूमि स्थल पर बन रहे राम मंदिर को लेकर भी परमहंस आचार्य विवाद में रहे हैं. उन्होंने प्रभु श्रीराम आदि की मूर्तियां नेपाल से लाई गईं शालिग्राम शिलाओं से बनाने का विरोध किया था.परमहंस आचार्य ने कहा था कि इन पत्थरों पर छैनी-हथौड़ी चली तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगा. हालांकि बाद में वे अपनी बात से पलट गए थे. उन्होंने कहा था कि प्रभु हनुमान ने मेरे सपने में आकर वो शालिग्राम नहीं देवशिला है और इसके बाद श्रीराम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ ने भी सपने में आकर उन्हें बताया है कि यह शालिग्राम है और इससे श्रीराम की मूर्ति बनाई जा सकती है.

उदयनिधि से चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान इस घोषणा के बारे में पूछा गया. उदयनिधि ने मजाकिया अंदाज में कहा, वह (परमहंस) मुझे सनातन पर बोलने के लिए अपना सिर मुंडवाने को 10 करोड़ रुपये देंगे. मेरे पर कंघी करने के लिए 10 रुपये की कंघी ही काफी है. इसके बाद उदयनिधि ने आगे कहा, ऐसे खतरे हमारे लिए नए नहीं हैं. हम इन खतरों से डरने वालों में से नहीं हैं. मैं उस कलाकार का पोता हूं, जिसने तमिलों के लिए अपना सिर रेल ट्रैक पर रख दिया था.

उदयनिधि के दादा और DMK के पूर्व सुप्रीमो एम. करुणानिधि 5 बार तमिलनाडु का मुख्यमंत्री रहे. वे पेरियार आंदोलन में ब्राह्मण विरोधी द्रविड़ आंदोलन के अगुआ रहे थे. उदयनिधि ने रेल ट्रैक पर सिर रखने की जो घटना बताई है, वो साल 1953 की है. तमिलनाडु में सीमेंट फैक्ट्री लगा रहे डालमिया परिवार के नाम पर उस गांव का नाम बदला जा रहा था. करुणानिधि के नेतृ्त्व में DMK कार्यकर्ता रेल की पटरी पर सिर रखकर लेट गए थे. इसके बाद गांव का नाम बदलने का फैसला वापस लेना पड़ा था. इस घटना को ही तमिल राजनीति में करुणानिधि के उदय का कारण माना जाता है.

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