चाहें ‘भारत’ कहें या ‘इंडिया’, हम दखल नहीं देंगे; नामकरण पर क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट

0 152

नई दिल्ली: देश को ‘इंडिया’ या ‘भारत’ कहकर संबोधित किया जाना चाहिए? यह सवाल पहली बार नहीं उठा है। सालों पहले इससे जुड़ी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल हुई थी। उस दौरान अदालत ने नाम चुनने को किसी व्यक्ति का निजी फैसला बताया था। साथ ही दखल देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कुछ सालों बाद जब फिर ‘इंडिया’ नाम को हटाने की याचिका शीर्ष न्यायालय पहुंची, तो अदालत ने सरकार का रुख करने का सुझाव दिया।

बात साल 2016 की है। मार्च का महीना था और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के सामने एक्टिविस्ट निरंजन भटवाल की याचिका पहुंची। इसमें संविधान के अनुच्छेद 1 में दर्ज शब्दावली पर सफाई की मांग की थी। उनका कहना था कि ‘इंडिया’ शब्द ‘भारत’ का शाब्दिक अनुवाद नहीं है। याचिका में काह गया था कि इतिहास और ग्रंथों में इसे ‘भारत’ कहा गया है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘इंडिया’ अंग्रेजों की तरफ से कहा गया था। उन्होंने मांग की थी कि देश के नागरिकों को यह बात साफ होना चाहिए कि उन्हें अपने देश को क्या कहना चाहिए।

क्या बोला कोर्ट
याचिका पर सुनवाई कर रहे सीजेआई ने कहा था कि कोई भी नागरिकों को यह निर्देश नहीं दे सकता कि उन्हें अपने देश को क्या कहना चाहिए। सीजेआई ठाकुर ने कहा था, ‘अगर आप इस देश को भारत कहना चाहते हैं, तो आगे बढ़ें और इसे भारत कहें। अगर कोई इस देश को इंडिया कहना पसंद करता है, तो उसे इंडिया कहने दीजिए। हम दखल नहीं देंगे।’

एक और याचिका
साल 2020 में तत्कालीन सीजेआई एसए बोबड़े के सामने भी याचिका पहुंची। इसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 से ‘इंडिया’ शब्द हटाने की मांग की गई थी। साथ ही कहा गया था कि देश के नाम में एक समानता होनी चाहिए। सीजेआई ने इस याचिका पर विचार नहीं किया। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा था, ‘भारत और इंडिया, दोनों ही नाम संविधान में दिए हुए हैं। इंडिया को संविधान में पहले ही भारत कहा गया है।’ इसके अलावा सुझाव दिया कि याचिका को रिप्रेजेंटेशन के तौर पर बदलकर केंद्रीय मंत्रालयों को भेजा जा सकता है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.