नई दिल्ली : ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम दिवालिया घोषित हो चुका है। 11 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी गैर जरूरी खर्चों पर रोक लगा दी गई। साथ ही यहां काम करने वाले लोगों के वेतन भी रोक दिए गए। बर्मिंघम सिटी काउंसिल के अधिकारियों ने इस संबंध में एक नोटिस जारी किया है, जिसमें बताया कि अरबों रुपये की वार्षिक बजटीय कमी के कारण दिवालिया होने का फैसला करना पड़ा। बर्मिंघम यूरोप में 100 से अधिक पार्षदों वाला सबसे बड़ा स्थानीय प्राधिकरण है।
बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने मंगलवार को धारा 114 नोटिस दायर किया, जिसमें का कि समान वेतन दावों की लागत के कारण वर्तमान में कंगाली जैसी नकारात्मक आर्थिक स्थिति बनी है। इसके अनुसार, नए समान वेतन दावों की संभावित लागत लगभग 816 मिलियन डॉलर (67 अरब रुपये) और लगभग 954 मिलियन डॉलर (79 अरब रुपये ) के बीच होगी। जबकि काउंसिल के पास इसे कवर करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। वहीं वित्त वर्ष 2023-24 के लिए शहर को अब 109 मिलियन डॉलर (9 अरब रुपये) के घाटे का अनुमान है।
काउंसिल की उप नेता शेरोन थॉम्पसन ने पार्षदों से कहा, वह काउंसिल की ऐतिहासिक समान वेतन देनदारी चिंताओं सहित लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का सामना कर रही हैं। थॉम्पसन ने इसका दोष ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी पर भी डाला। बता दें कि यह बहुसांस्कृतिक शहर मध्य इंग्लैंड का सबसे बड़ा शहर है। पिछले साल यहां राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन हुआ था।