मोदी सरकार के मेक इन इंडिया पहल से एफडीआई में हुई दोगुनी वृद्धि, जानिए और क्‍या-क्‍या हुए फायदे?

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नई दिल्‍ली : मोदी सरकार के प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया को इस साल 25 सितंबर को 9 साल पूरे हो जाएंगे। अभी तक वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दोगुना होकर 83 अरब डॉलर हो गया है। भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, एफडीआई (FDI) वित्त वर्ष 2014-15 में 45.15 अरब डॉलर था,जो पिछले साल तक 83.6 अरब डॉलर हो गया है। वहीं, दुनिया के 101 देशों ने भारत (India) के 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 57 अलग-अलग सेक्टरों में निवेश किया है। सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर एफडीआई का है।

वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के कारण खिलौना उद्योग में 2013 के मुकाबले 2022 में 636 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2018-19 में देश में 2960 करोड़ रुपये के बराबर के खिलौनों का आयात हुआ था। अब इसमें 70 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। यह 877 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उद्योगों के प्रयासों के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में 61 प्रतिशत से अधिक खिलौनों का निर्यात किया गया।

मेक इन इंडिया के फायदे एक नजर में
100 फीसदी बढ़ा वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
3 लाख व्यवसाय के लिए अनुरोध
196 अरब डॉलर का निवेश कतार में
14 सेक्टर में 1.97 लाख करोड़ के विनिर्माण की स्वीकृति
200 से अधिक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित
250 फीसदी की बढ़ोतरी मोबाइल फोन के निर्यात में

केंद्र सरकार ने निर्माण क्षेत्र और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए 25 सितंबर, 2014 को मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया। इसके जरिये देश में विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। इसकी मदद से देश में आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना तैयार करने के अलावा विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोलकर सरकार और उद्योग के बीच साझेदारी का निर्माण किया जा रहा है।

नई प्रक्रियाएं : उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता देना। इसका उद्देश्य व्यवसाय के दौरान क्षेत्र को लाइसेंस और विनियमन से मुक्त करना।

नई अवसंरचना: औद्योगिक गलियारों का निर्माण करना, मौजूदा बुनियादी ढांचे का तेजी से पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान करने की योजना बनाना।

नए क्षेत्र: इसकी मदद से विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और सेवा गतिविधियों के लिए 27 उद्योगों की पहचान की गई है।

नई सोच : मूलरूप से व्यवसाय के साथ सरकार के काम करने के तरीके को बदलना। अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए विभिन्न उद्योगों के साथ साझेदारी करना और सुविधाजनक तरीका अपनाने का लक्ष्य।

पांच औद्योगिक गलियारे बनाने की योजना: मेक इन इंडिया पहल के तहत औद्योगीकरण और शहरीकरण को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाने के लिए समावेशी विकास पर ध्यान दिया गया है। इसके लिए पांच गलियारे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा, बेंगलुरु-मुंबई आर्थिक गलियारा, चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा और विजाग-चेन्नई औद्योगिक गलियारा पर काम चल रहा है।

रक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित तेजस एयरक्रॉफ्ट को लेकर है, जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस एमके-1ए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट खरीद को मंजूरी प्रदान की। डीआरडीओ और एडीए ने तेजस का स्वदेशी डिजाइन तैयार किया है। इसके अलावा, आईएनएस विक्रांत, अर्जुन एमके-1ए टैंक, आकाश मिसाइल, आईएनएस कलवरी, पिनाका रॉकेट, एमपीएटीजीएम एंटी टैंक मिसाइल, बुलेटप्रूफ जवानों के ड्रेस और अगली पीढ़ी का ब्रहामोस मिसाइल भी मेक इन इंडिया के तहत संचालित है।

उद्देश्य :
– अर्थव्यवस्था में क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर को 12-14% प्रति वर्ष तक बढ़ाना।
– अर्थव्यवस्था में 100 मिलियन अतिरिक्त विनिर्माण नौकरियों का लक्ष्य
– 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र से 25% सकल घरेलू उत्पाद के 15-16% के वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद से योगदान का भी लक्ष्य

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