Delhi: दहेज उत्पीड़न के केसों में 1% से भी कम को मिली सजा, ढाई साल में 1200 आरोपी बरी

0 251

नई दिल्ली : दिल्ली में दहेज उत्पीड़न के मामलों में आरोपियों की दोषी सिद्धि एक फीसदी से भी कम है। पिछले ढाई साल के दौरान महज 0.94%आरोपियों को दहेज उत्पीड़न में सजा हुई है, जबकि बरी होने वाले आरोपी एक हजार से ऊपर हैं। अदालती रिकॉर्ड के मुताबिक, एक जनवरी 2021 से 30 जून 2023 के बीच महज पांच मामलों में दहेज उत्पीड़न का आरोप साबित हुआ है, जबकि वर्षों तक दहेज प्रताड़ना का मुकदमा चलने के बाद 527 मामलों में तकरीबन 1200 आरोपी बरी हुए हैं।

इन मामलों में पीड़ित पक्ष द्वारा पति के अलावा सुसराल के अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन इन पर आरोप साबित नहीं हो पाया। वहीं, जिन पांच मामलों में आरोप साबित हुआ है, उनमें ससुराल पक्ष के 11 लोगों को सजा हुई है। अधिकांश मामलों में पीड़िता द्वारा खुद बयान से पलटने की बात भी सामने आई है। अदालत ने माना है कि पुख्ता आधार न मिलने की वजह से दहेज उत्पीड़न के मामलों में आरोपियों को बरी करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होता।

वर्ष 2011 में नंदनगरी निवासी नेहा ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में नेहा की पुलिस के समक्ष गवाही वर्ष 2011 में ही हो गई थी, लेकिन कड़कड़डूमा कोर्ट के समक्ष 27 अप्रैल 2017 को बयान दर्ज कराते समय पीड़िता घटना का दिन और समय बताने में असमर्थ रही। पीड़िता यह भी नहीं बता पाई कि ससुराल वाले किस तरह की मांग उससे या उसके परिवार से कर रहे थे। गवाह भी अपने बयानों से मुकर गए। इसके बाद अदालत ने पति, सास व ननद-ननदोई को बरी कर दिया।

एक अलग मामले में पीड़िता ने द्वारका अदालत के समक्ष बताया कि उसका देवर के साथ अक्सर झगड़ा होता था। पति भी देवर की तरफ से ही बोलता था। एक दिन देवर ने उस पर हाथ उठा दिया। वह गुस्से में शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंच गई। पुलिस ने इस मामले को झगड़े की बजाय दहेज प्रताड़ना में दर्ज कर लिया। अदालत ने पीड़िता के बयान के आधार पर ससुराल पक्ष के लोगों को बरी कर दिया।

घरेलू विवादों के जानकार वकील विवेक भारद्धाज बताते हैं कि गुजाराभत्ता पाने के लिए घरेलू हिंसा का मुकदमा अदालत में दर्ज करा दिया जाता है। हालांकि, गुजाराभत्ता पाने के लिए पति-पत्नी के अलग रहने के आधार पर याचिका दायर की जा सकती है। वकील दहेज उत्पीड़न में आरोपियों के बरी होने की बड़ी वजह मुकदमों के लंबे समय तक चलना बताते हैं। लंबी प्रक्रिया इन मुकदमों के वजूद को हल्का कर देती है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.