नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर बड़ा दांव खेला है. अब बीजेपी इसको काउंटर करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है. बीजेपी को रणनीति बनाने का संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से मिला है. पीएम मोदी ने कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वह हिंदुओं को बांटकर देश को बांटना चाहती है. बीजेपी जातिगत जनगणना पर हिंदू वोटों का विभाजन नहीं चाहती है, इसलिए अब पार्टी ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आक्रामक रवैया अपनाने का प्लान बनाया है.
बीजेपी आने वाले समय में हिंदुत्व को लेकर और ज्यादा मुखर होगी. बीजेपी जनता को बताएगी कि जातिगत जनगणना के मुद्दे के जरिए विपक्ष हिंदू समाज को बांटने की कोशिश कर रहा है. कहा जा रहा है कि जनवरी में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के साथ ही इसे बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा. उससे पहले देश भर में राम मंदिर को लेकर कार्यक्रम होंगे. केंद्र सरकार की ओर से जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को भी अमली जामा पहनाया जा सकता है, जो ओबीसी आरक्षण के भीतर ही अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की बात करती है. वहीं, हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा फिर उछाला जा सकता है.
यूपी के प्रयागराज में बीजेपी एक बड़ा ओबीसी महाकुंभ करेगी. ये ओबीसी महाकुंभ पार्टी के ओबीसी मोर्चा के की ओर से आयोजित किया जाएगा, जिसे पांच राज्यों के चुनाव के बाद और लोकसभा चुनाव के पहले दिसंबर में आयोजित किया जाएगा. इस महाकुंभ में बीजेपी के दिग्गज नेताओं मसलन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के बड़े नेताओं और ओबीसी चेहरों को बुलाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी महाकुंभ में निमंत्रण भेजा जा सकता है. इस महाकुंभ के जरिए बीजेपी ओबीसी वर्ग को साधेगी.
बीजेपी जाति आधारित क्षेत्रिय पार्टियों में परिवारवाद के मुद्दे पर रणनीति बनाएगी. बीजेपी जनता को बताएगी कि कैसे लालू यादव परिवार में लालू यादव, राबड़ी, तेजस्वी-तेजप्रताप के हाथ में ही सत्ता की कमान रही है. और किसी को आगे नहीं बढाया गया. ऐसे ही समाजवादी पार्टी के परिवारवाद को लेकर अखिलेश यादव पर निशाना साधा जाएगा. बीजेपी जनता को बताएगी कि जाति जनगणना का मकसद आंकड़ों का राजनीतिक इस्तेमाल करना है. अगर ये दल ओबीसी के उत्थान को लेकर गंभीर होते तो उनके कल्याण के लिए योजना बनाते.
बीजेपी ये भी कहेगी कि अगर ये दल ओबीसी को लेकर गंभीर होते तो सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक डाटा भी जारी करते, जिससे पता चलता कि जिन राज्यों में इन क्षेत्रिय दलों की इतने लंबे समय तक सरकारें रही हैं और वहां ओबीसी वर्ग की स्थिति कितनी खराब हैं. इस दौरान आजादी के बाद कांग्रेस की सरकारों की ओर से ओबीसी की उपेक्षा को बताया जाएगा. मोदी सरकार के 9 साल के पिछड़े वर्ग के लिए किए गए काम को भी बताया जाएगा.
मोदी सरकार ने संविधान में 127वां संशोधन करके राज्य सरकारों को सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछड़े जातियों की पहचान कर उन्हे सूची में जोड़ने का अधिकार दिया था. ओबीसी वर्ग के लिए लाई गई विश्वकर्मा योजना के बारे में भी बताया जाएगा. ये भी बताया जाएगा कि बीजेपी के 29 प्रतिशत सांसद ओबीसी हैं और मोदी मंत्रिपरिषद में ओबीसी वर्ग के 29 मंत्री हैं. साथ ही सभी राज्यों में बीजेपी के विधायकों में से 27 फीसदी ओबीसी वर्ग से हैं.