नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मारे गए गैंगस्टर अतीक अहमद के दो नाबालिग बेटों की हिरासत के मुद्दे से संबंधित एक याचिका का निपटारा कर दिया है। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने हाल ही में इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दोनों को सात महीने की अवधि के बाद सोमवार को बाल संरक्षण गृह से रिहा कर दिया गया और उन्हें उनकी मौसी परवीन को सौंप दिया गया है।
इससे पहले तीन अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने यूपी के प्रयागराज में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर विचार करते हुए एक सप्ताह की अवधि के भीतर हिरासत के मुद्दे पर नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
बच्चों की इच्छाओं का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सहायक व्यक्ति के रूप में नियुक्त राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान के निदेशक के.सी. जॉर्ज ने मोटे तौर पर कहा कि नाबालिग बाल देखभाल संस्थान में नहीं रहना चाहते हैं।
गौरतलब है कि बड़ा बेटा अहजाम 5 अक्टूबर को 18 साल का हो गया और वयस्क के रूप में योग्य हो गया। प्रयागराज पुलिस के अनुसार, अहजम और आबान को उनके घर के पास लावारिस हालत में पाया गया था और परिवार के किसी भी जिम्मेदार सदस्य की अनुपस्थिति में इस साल मार्च में उन्हें एक बाल देखभाल संस्थान में भर्ती कराया गया था।
मारे गए गैंगस्टर की बहन शाहीन अहमद ने इस साल मई में पारित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने नाबालिगों की हिरासत की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि दोनों की मां जीवित हैं और यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री पेश नहीं की गई कि याचिकाकर्ता उनका अभिभावक हैं।