Jyotiba Phule : ज्योतिबा फूले थे देश का गर्व , जानिए उनके बारे में कुछ अनकही बाते
Jyotiba Phule : आज महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती देश की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना में ज्योतिबा फुले का अहम योगदान था । जाति प्रथा और छुआछूत के खिलाफ फुले ने महान काम किया था. महिलाओं की शिक्षा पर जोर देने वालों में ज्योतिबा फुले का नाम सबसे पहले आता है । महान समाजसेवी एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दिग्गजों ने नमन किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया । ‘महान समाजसेवी, विचारक, दार्शनिक एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. वे जीवनपर्यंत महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहे है समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को जागरुक करेगी ।
ज्योतिबा फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में 11 अप्रैल 1827 को हुआ था । उनका जन्म एक माली परिवार में हुआ था । उनका पूरा नाम ज्योतिबा रव गोविंद राव फुले था. उन्होंने जीवनभर छुआछूत को देश से खत्म करने के लिए अंत तक प्रयास किये । फुले ने बहिष्कृत समाज को समान अधिकार दिलाने के लिए 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की और जीवन पर्यंत मेहनत की । इसका उद्येश्य समाज में पिछड़े और उपेक्षित वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाने की कोशिश करना था ।
सभी जाति के लोग सत्यशोधक समाज के सदस्य बने. फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए पहले स्कूल की स्थापना करी इसके अलावा उन्होंने कई विद्यालय और अनाथालय भी खोले गये ज्योतिबा ने कई महान किताबें लिखी । धर्म तृतीय रत्न, इशारा और शिवाजी की जीवनी उनकी जानी -मानी किताबे है . महाराष्ट्र में समाज सुधारक के रूप में फुले का बेहद सम्मान था. 1888 में विट्ठलराव कृष्णाजी वेंडेकर ने उन्हें महात्मा की उपाधि से संबोधित किया. इसके बाद वे महात्मा कहे जाने लगे. फुले ने समाज में ठुकराई गई महिलाओं को मुख्य धारा में लाने का भी काम किया. 28 नवंबर 1890 को ज्योतिबा फुले का निधन हो गया ।
रिर्पोट – शिवी अग्रवाल