नई दिल्लीः समूचे भारतवर्ष में नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. जगह-जगह पंडाल लगाए गए हैं, रामलीला का मंचन किया जा रहा है. अलग-अलग जगहों पर डांडिया का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. डांडिया नाइट वैसे तो देश के हर कोने में आयोजित होता है. लेकिन गुजरात का डांडिया नाइट सबसे खास होता है. लेकिन नवरात्रि के इस रंग में हार्ट अटैक की घटनाओं ने भंग डाल दिया है. कुछ दिन पूर्व कई मीडिया रिपोर्ट में जिक्र किया गया कि 24 घंटे के भीतर गरबा करने के दौरान 10 लोगों ने दिल का दौरा पड़ने से दम तोड़ दिया. इन घटनाओं ने हर किसी को चिंतित कर दिया.
दरअसल, इन मौतों के पीछे विशेषज्ञ कई वजहें बता रहे हैं. जैसे कि पहले से खराब मेडिकल कंडीशन, लंबे समय तक व्रत रहना, अनहेल्दी खाना, हार्ट अटैक संबंधी समस्याओं के बारे में जानकारी ना होना गरबा आयोजनों में दिल का दौरा का कारण हो सकते हैं. कई समाचार रिपोर्टों के अनुसार, पूरे गुजरात में एक दिन में गरबा आयोजनों में दिल का दौरा पड़ने से कम से कम 10 लोगों की मौत की सूचना मिली, जिनमें से सबसे कम उम्र सिर्फ 17 साल की है. वीर शाह नाम का किशोर खेड़ा जिले के कपडवंज शहर में एक कार्यक्रम में गरबा खेलते समय अचानक बीमार पड़ गया. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनकी नाक से खून बहने लगा और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया.
हालांकि, दिल का दौरा पड़ने के कारण उसे मृत घोषित कर दिया गया. बाद में उसके परिवार ने जनता से अपील जारी करते हुए कहा, ‘बिना ब्रेक लिए लंबे समय तक गरबा न खेलें. मैंने आज अपना बेटा खो दिया. मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा किसी और के साथ न हो.” अहमदाबाद, राजकोट और नवसारी से भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं, जिनमें 20 साल से अधिक उम्र के लोगों की मौत हो गई. पिछले कुछ समयों से भारत में हृदय रोगों और दिल के दौरे के मामले तेजी से बढ़े हैं. जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें कोविड के बाद की जटिलताएं, वायु प्रदूषण और अनहेल्दी लाइफस्टाइल शामिल हैं.
अहमदाबाद के नारायणा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जीशान मंसूरी ने बताया, “हम देख रहे हैं कि दिल का दौरा का मामला युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है. पहले 10 में से 1 मरीज 30 साल से कम उम्र का था, लेकिन अब हम 10 में से 3 मरीज 30 साल से कम उम्र के देख रहे हैं.” नई दिल्ली के साओल हार्ट सेंटर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और निदेशक डॉ. बिमल छाजेर ने भी कहा कि वह युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों को देख रहे हैं, न कि केवल बुजुर्गों को, विभिन्न लक्षणों के साथ ओपीडी में आ रहे हैं.
एम्स के पूर्व सलाहकार छाजेर ने कहा कि पहले आने वाले 10 फीसदी मरीज बहुत गंभीर लक्षणों, ब्लॉकेज और कार्डियक अरेस्ट या कार्डियक स्ट्रेन की शिकायत करते थे, लेकिन अब यह प्रतिशत बढ़कर लगभग 25 फीसदी हो गया है. विशेषज्ञ त्योहारी सीजन से पहले स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था करने की सलाह देते हैं ताकि अधिक जोखिम वाले लोगों की पहचान की जा सके और सुरक्षित रूप से उत्सव का आनंद लेने के बारे में व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया जा सके.