इस मंदिर में है 500 साल पुराना शंख, महाभारत से जुड़ा है इतिहास; 2 किमी दूर तक जाती है आवाज

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पटना: सनातन धर्म में शंखों को धार्मिक आयोजनों में व‍िशेष माना गया है. मान्‍यता है कि इसकी ध्‍वन‍ि जहां तक जाती है वहां तक वातावरण में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है. महाभारत काल में भी युद्ध की शुरूआत शंखनाद से ही होती थी. कहा जाता है कि उस समय भगवान कृष्ण के पास एक खास प्रकार का शंख हुआ करता था. जिसे पाञ्चजन्य कहा जाता है. यह भगवान विष्णु का शंख है. आज के समय में इस तरह का शंख देख पाना सौभाग्य की बात है और यह सौभाग्य पटना वालों को मिल रहा रहा है. दरअसल, पटना में एक ऐतिहासिक ठाकुरबाड़ी है, जहां शंखों का संग्रह है. इसी संग्रह में एक पाञ्चजन्य शंख भी है. इसकी आयु 500 साल से भी ज्यादा है.

पटना के बाकरगंज में मौजूद भीखमदास ठाकुरबाड़ी मंदिर जितना ऐतिहासिक है, उतना हीं ऐतिहासिक यहां की चीजें है. यह ठाकुरबाड़ी ऐतिहासिक शंखों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है. यहां 500 साल से भी ज्यादा पुराने शंख रखे हुए हैं. यहां 100 ग्राम से लेकर ढाई किलो तक के शंख देखे जा सकते हैं. मंदिर के पुजारी विधार्थी जी मानें तो इस मंदिर से जुड़े पूर्वजों इसे यहां लेकर आए होंगे. यहां अलग-अगल आकार और वजन के हिसाब से कुल शंखों की संख्या 25 है. इसमें सबसे ऐतिहासिक और दुर्लभ शंख पाञ्चजन्य है. मंदिर के महंत बताते हैं कि साधु-संत अपने तीर्थ के क्रम में विभिन्न जगहों से लाकर ठाकुरबाड़ी में शंख रखते हैं. इसी प्रकार यह शंख भी यहां पहुंचा है.

 

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