लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राजस्व मामले की निगरानी लगातार की जा रही है। मामले में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों पर मुख्यमंत्री ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। अपर मुख्य सचिव राजस्व परिषद सुधीर गर्ग ने बताया कि प्रदेश में राजस्व मामलों के शीघ्रातिशीघ्र निस्तारण पर मुख्यमंत्री का विशेष जोर है। प्रदेश के 2941 राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण करने के लिए दो माह का विशेष अभियान चलाए जाने के निर्देश मुख्यमंत्री की ओर से दिये गये हैं।
कुल राजस्व मामलों के निस्तारण में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जनपदों में प्रतापगढ़, जौनपुर, संत रविदास नगर, अयोध्या और रायबरेली के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके अलावा पैमाइश के मामलों में खराब प्रदर्शन वाली पांच तहसीलों सफीपुर (उन्नाव), लोनी (गाजियाबाद), कोरांव (प्रयागराज), नकुड़ (सहारनपुर) और फतेहाबाद (आगरा) के उप-जिलाधिकारियों को चेतावनी जारी की गई है।
इसी मामले में खराब प्रदर्शन करने वाले जनपदों मेरठ, संत रविदास नगर, प्रयागराज, शाहजहांपुर और आगरा के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। कोताही बरतने वाली दुद्धी (सोनभद्र), मिहिपुरवां (बहराइच), ओबरा (सोनभद्र), मेजा (प्रयागराज) और रायबरेली (रायबरेली) के तहसीलदारों को प्रतिकूल प्रविष्टि भेजी गई है।
खराब निस्तारण वाले जनपदों रायबरेली, प्रतापगढ़, सोनभद्र, अयोध्या और संत रविदास नगर के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके अलावा कुर्रा-बंटवारा के मामलों के निपटारे में खराब प्रदर्शन करने वाली तहसीलों भदोही (संत रविदास नगर), रानीगंज (प्रतापगढ़), हैदरगढ़ (बाराबंकी), हंडिया (प्रयागराज) और कैम्पियरगंज (गोरखपुर) के उप-जिलाधिकारियों को चेतावनी जारी की गई है। कुर्रा-बंटवारा में खराब प्रदर्शन करने वाले जनपदों संत रविदास नगर, प्रतापगढ़, बलरामपुर, देवरिया और प्रयागराज के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।