चंडीगढ़ : इस समय दिल्ली-NCR की हवा इतनी खराब हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। पंजाब में खेतों में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं हुईं जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक संख्या है. हरियाणा के बड़े हिस्से में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ (Serious) की श्रेणी में दर्ज की गई. पंजाब दूर संवेदी केन्द्र के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में रविवार को 3,230 नयी घटनाओं के साथ ही इस मौसम में अब तक पराली जलाने की कुल 17,403 घटनाएं हुईं.
दिल्ली के लिए सोमवार की सुबह भी प्रदूषण वाली ही रही है। राजधानी में AQI आज सुबह 485 रहा है, जबकि एनसीआर के शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम और नोएडा में भी एयर पलूशन का लेवल 400 के आसपास बना हुआ है। दिल्ली में पलूशन से निपटने के लिए ग्रैप 4 की पाबंदियां लागू की गई हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले डीजल के ट्रकों को रोका गया है। इसके अलावा बीएस-4 और बीएस-3 की डीजल कारों पर भी पाबंदी लगाई गई है। इस बीच दिल्ली के पलूशन को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को कहा कि दिल्ली के पलूशन के लिए पंजाब में पराली जलने से ज्यादा हरियाणा और पश्चिम यूपी में पराली की घटनाएं जिम्मेदार हैं। वहीं भाजपा के नेता आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और उसे दिल्ली में पलूशन कम करने में नाकाम बता रहे हैं। हालांकि रविवार के ही डेटा की बात करें तो पंजाब में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा पूरे सीजन में यह आंकड़ा 17,403 तक पहुंच गया है। हरियाणा से तुलना करें तो यह आंकड़ा काफी ज्यादा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में रविवार को पराली जलाने की 109 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि पूरे सीजन में पराली जलाने की घटनाएं 1500 से ज्यादा रही हैं।
मनोहर लाल खट्टर सरकार का कहना है कि वह पराली जलाने वाले किसानों के चालान काट रही है। हरियाणा के 18 शहरों में पलूशन खतरनाक स्तर पर है, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि इसके लिए पंजाब जिम्मेदार है। जहां पराली जलाने की घटनाएं अधिक हो रही हैं। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर डेटा के मुताबिक राज्य में इस सीजन में पराली जलाने की 17 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। बीते साल की तुलना में यह आंकड़ा भले कम है, लेकिन हरियाणा के मुकाबले काफी ज्यादा है। हरियाणा के 1500 केसों के मुताबिक यह 10 गुना से भी ज्यादा अधिक हुआ।
पंजाब का ही डेटा बताता है कि राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाओं में से 56 फीसदी अकेले नवंबर के ही पहले 5 दिनों में हो चुकी हैं। हालांकि 15 सितंबर से 5 नवंबर तक पराली जलाने के कुल मामले बीते साल की तुलना में काफी कम हैं। पंजाब में 2022 में पराली जलाने की 29,400 घटनाएं हुई थीं। उस लिहाज से देखें तो पंजाब में इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम दर्ज हुई हैं, लेकिन हरियाणा की तुलना में अब भी काफी अधिक है। बता दें कि आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली के पलूशन के लिए पंजाब से ज्यादा हरियाणा जिम्मेदार है क्योंकि वह ज्यादा पास है।