मुंबई : दीपावली का पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। दीपावली का त्योंहार पाँच दिन तक पंच पर्व के रूप में मनाया जाता है। धन तेरस या धन त्रयोदशी से भैया दूज तक के पर्वों को पूरे भारत में उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है। ज्योतिषियों व धर्माचार्यों का कहना है कि इस बार गोवर्धन पूजन की तिथि दीपावली से एक दिन आगे पड़ रही है। इसे लेकर आम लोगों में भ्रम की स्थिति है। इस बार ज्योतिषी गणना के अनुसार गोवर्धन पूजन की तिथि दिवाली से एक दिन आगे हो पड़ रही है। इसे लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है। जयपुर जगतपुरा प्रताप नगर सांगानेर स्थित कैर के बालाजी के पुजारी मुकेश शर्मा ने भ्रम को दूर करते हुए सभी पर्वों की तिथि व पूजन का समय स्पष्ट किया है।
दीपावली पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त और सरल विधि
12 नवंबर रविवार प्रात 9.20 से 11.24 के मध्य धनु लग्न में व्यवसायिक स्थलों पर पूजन का उत्तम समय रहेगा। इसके बाद दोपहर 1.06 बजे से 2.34 के मध्य स्थिर लग्न कुम्भ में भी पूजन करना उत्तम होगा। प्रात 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट के बीच सर्वश्रेष्ठ और सिद्ध अभिजीत मुहूर्त उपस्थित रहेगा, जो व्यवसायिक स्थलों पर पूजन के लिए श्रेष्ठ समय होगा। घर में पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम को 6 बजे से 7.31 के बीच रहेगा।
ज्योतिषचार्य मुकेश शर्मा ने बताया कि पाँच दिन के इस पर्व के बीच एक दिन रिक्त होगा। इस बार धन त्रयोदशी से बड़ी दीपावली तक तीनों पर्व सीधे क्रम में हैं। इसमें धनतेरस (धन त्रयोदशी)10 नवम्बर शुक्रवार को, छोटी दीपावली 11 नवंबर शनिवार को और बड़ी दीपावली 12 नवंबर रविवार को मनाई जाएगी। को होगी। वहीं 13 नवंबर का दिन रिक्त होगा, जिसे कार्तिक अमावस्या के स्नान दान के लिए प्रयोग किया जाएगा।
बड़ी दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा में गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। इस बार 13 नवंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक अमावस्या तिथि ही रहेगी। दोपहर 2.56 पर प्रतिपदा शुरू होगी और तब तक दिन का अधिकांश समय निकल चुका होगा। 14 नवम्बर को प्रतिपदा तिथि सूर्योदय काल से लेकर दोपहर 2.36 बजे तक रहेगी। ऐसे में सुबह प्रतिपदा की उपस्थिति में मंदिरों में अन्नकूट भोग आदि पूजन किया जा सकेगा। 14 नवंबर को उदय तिथि प्रतिपदा होने से संध्याकाल में भी तिथि मान्य रहेगी। घरों में संध्याकाल में भी गोवर्धन पूजा कर सकेंगे। इसलिए इस बार गोवर्धन पर्व 14 नवम्बर को मनाया जायेगा। इसके बाद भाईदूज का पर्व 15 को मनाया जाएगा। पितरों के लिए दीपदान का समय
ज्योतिषचार्य मुकेश शर्मा के अनुसार अमावस्या संध्याकाल और रात्रि में 12 नवंबर को ही उपस्थित रहेगी। अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर दो बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है और 13 नवंबर को दोपहर दो बजकर 56 मिनट तक रहेगी। अपने घर के देवताओं पर 12 नवंबर को ही दीपदान होगा और दो बजकर 44 मिनट से ही इसका समय शुरू होगा। इसके अलावा जो लोग 12 नवंबर को दीपक नहीं जला पाए, वह 13 नवंबर को सुबह से दोपहर 2.56 बजे तक भी अमावस्या तिथि में दीपक जला सकते हैं।