आज धनतेरस पर ऐसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्‍न, जानें शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

0 71

नई दिल्‍ली : दिवाली का पंचदिवसीय त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होगा। इस साल धनतेरस 10 नवंबर 2023, शुक्रवार को है। धनतेरस, जिसे धन्वंतरि जयंती या धनत्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी दूध मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। द्रिकपंचांग के अनुसार, धनत्रयोदशी के दो दिन बाद अमावस्या को की जाने वाली लक्ष्मी पूजा ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है।

धनतेरस पूजा शाम के समय की जाती है। मां लक्ष्मी को ताजे फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है। घर में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के बाहर से अंदर तक कदमों के छोटे-छोटे निशान बनाए जाते हैं। लोग पूजा से पहले अपने घरों को भी साफ करते हैं और रंगोली से सजाते हैं।

त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 56 मिनट है।

धनतेरस पर प्रदोष व वृषभ काल का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल 10 नवंबर को 05:29 पी एम से 08:07 पी एम तक रहेगा और वृषभ काल – 05:46 पी एम से 07:42 पी एम तक रहेगा।

अपने पूजास्थल में चावल या गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाकर रखें फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं को मिठाई या मीठे व्यंजन का भोग लगाएं और फिर इसे परिवार सहित प्रसाद रूप से ग्रहण करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा होगी और आपके जीवन में समृद्धि बढ़ेगी।

धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा
धनतेरस के दिन लोग आभूषण या नए बर्तन खरीदते हैं। इस दिन सोने और चांदी में निवेश करना ज्यादा शुभ माना जाता है। धनतेरस को लेकर यूं तो कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक इसप्रकार है। प्राचीन काल की बात है कि राजा हिमा के 16 वर्षीय बेटे की शादी की चौथी रात सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। उसकी जान बचाने के लिए उसकी पत्नी ने अपने सारे सोने के आभूषण और सोने के सिक्के एक ढेर में इकट्ठा कर लिए। फिर उसने गाने गाए और अपने पति को कहानियां सुनाईं ताकि वह सो न जाए। जब मृत्यु के देवता यमराज, राजकुमार के प्राण लेने के लिए सांप के रूप में आए, तो वह सोने की चमक से अंधे हो गए और मधुर संगीत और कहानियाँ सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। इसलिए यमदीपदान के रूप में मनाई जाने वाली परंपरा के रूप में लोग यमराज की पूजा करने और बुराई को दूर करने के लिए इस दिन पूरी रात दीये जलाते हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.