अमेरिकी मशीनों से सुरंग में 30 मीटर ड्रिलिंग, दिल्ली से भेजी गई मशीन उत्तरकाशी में कर रही चमत्कार

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उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल हादसे के बाद पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 30 मीटर ड्रिलिंग कर ली है. बताया जा रहा है कि 6-6 मीटर के 5 पाइप मलबे के अंदर डाल दिए गए हैं. आगे 30 से 40 मीटर की खुदाई कुछ आसान होने की उम्मीद है. दरअसल, सुबह 4 बजे एक पत्थर आने की वजह से मिशन रुक गया था, लेकिन डायमंड कटर या डायमंड बिट मशीन की मदद से उसे काट दिया गया.

हालांकि, अब भी करीब 30 मीटर तक खुदाई बाकी है. ऑगर मशीन को गुरुवार को इंस्टाल किया गया था, जिसके बाद ड्रिलिंग मशीन ने गुरुवार रात तक 12 मीटर मलबा हटा दिया था. अमेरिकी मशीन के उत्तरकाशी पहुंचने के बाद सुरंग के बाहर एक छोटी सी पूजा का आयोजन भी किया गया था.

हादसे के बाद ड्रिलिंग के जरिए मलबा हटाने के लिए पहले एक छोटी मशीन को लगाया गया था. इसके बाद IAF के C-130 हरक्यूलिस विमान से बुधवार को अमेरिकन ऑगर मशीन के पार्ट्स को दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाया गया. दिल्ली से पहुंची 25 टन की इस मशीन का सेटअप रातोंरात कर लिया गया और फिर तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन में इसे इस्तेमाल किया जाने लगा.

रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच टनल के बाहर 6 बिस्तरों वाला एक अस्थायी हॉस्पिटल भी तैयार किया गया है. टनल से मजदूरों के निकलने के बाद उन्हें तुरंत मेडिकल सुविधाएं मिल सकें इसलिए टनल के बाहर 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं. दरअसल, डॉक्टरों ने सलाह दी है कि टनल से निकलने के बाद श्रमिकों को मानसिक-शारीरिक मार्गदर्शन की जरूरत होगी.

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंब समय तक बंद जगह पर फंसे रहने के कारण पीड़ितों को घबराहट का अनुभव करना पड़ रहा होगा. इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता के कारण भी उनके शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है. ऐसी भी आशंका है कि लंबे समय तक ठंडे और भूमिगत तापमान में रहने के कारण उनहें हाइपोथर्मिया भी हो सकता है और वे बेहोश हो सकते हैं.

इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर दुनिया के कई देशों की भी नजर है. अब इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने भी इस ऑपरेशन में मदद करने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि वह बचाव कार्य पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि अगर बचाव कार्य प्रभावी नहीं रहता है तो वह अपने सभी सदस्य देशों की तरफ से मदद करने के लिए भारत में तैनात रेहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि भारत भारत दुनिया के अग्रणी सुरंग निर्माता देशों में से एक है. यह बेहद गंभीर मामला है. 40 जिंदगियां बड़े खतरे में हैं.

बता दें कि 12 नवंबर की सुबह हुए टनल हादसे में 40 श्रमिक फंस गए हैं. इन श्रमिकों में से एक मजदूर विश्वजीत के भाई इंद्रजीत कुमार को यह विश्वास है कि उनके भाई को बचा लिया जाएगा. इंद्रजीत ने बताया,’अपने भाई की सलामती की चिंता के बाद मैं मंगलवार शाम को उत्तरकाशी पहुंचा. मेरी भाई से बात हो चुकी है, वह ठीक है. इतनी शक्तिशाली ड्रिलिंग मशीन को काम पर लगाया गया है, इसलिए मुझे यकीन है कि सभी को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा.’

बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम अलग रणनीति को लेकर काम कर रही है. टीम का यह प्लान है कि वह मलबे में ड्रिलिंग करके वहां 900 मिमी व्यास वाले पाइप उसमें फिट कर देगी. इस पाइप के जरिए ही सभी मजदूरों को वहां से निकाल लिया जाएगा.

ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया, लेकिन शाम तक केवल डेढ़ पाइप ही मलबे में डाला जा सका है। एलाइनमेंट का भी विशेष ध्यान रखने के कारण पाइपों की वेल्डिंग में एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। सुरंग में करीब 60 से 70 मीटर तक मलबा फैला हुआ है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि रेस्क्यू कार्य में एक से दो दिन का समय और लग सकता है।

वहीं मंगलवार देर रात सुरंग के अंदर एक मजदूर की तबीयत खराब होने लगी। मजदूर को चक्कर आने और उल्टी होने की सूचना मिलने से बाकी मजदूर घबरा गए। इसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर मजदूर को पाइप के जरिये दवा भेजी गई। कुछ मजदूरों में बुखार, बदन दर्द और घबराहट की शिकायतें हैं। उनके लिए भी दवाएं और उनको कैसे लेना है इसके लिए एक पर्चा साथ में भेजा गया। मजदूरों की हालत बिगड़ने की सूचना पर उनके साथियों ने हंगामा भी किया।

सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पांच दिनों से फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। दिल्ली से लाई गई अमेरिकी ऑगर मशीन से गुरुवार को ड्रिलिंग शुरू कर दी गई। ड्रिलिंग के बाद स्टील के बड़े व्यास वाले पाइपों से एक एस्केप टनल तैयार की जाएगी ताकि मजदूरों को बाहर निकाला जा सके। सुरक्षाकर्मियों ने सुरंग के 200 मीटर क्षेत्र को आम लोगों और मीडिया की आवाजाही के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। मजदूरों को सुरंग में फंसे हुए 100 से अधिक घंटे हो गए हैं।

कुछ मजदूरों की तबीयत खराब होने की भी खबर है। हालांकि मजदूरों को हर आधा घंटे में खाद्य सामग्री भेजी जा रही है। उन्हें बॉक्सिजन, बिजली, दवाएं और पानी भी पाइप के जरिए लगातार पहुंचाया जा रहा है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रति घंटे पांच से सात मीटर भेदन क्षमता वाली मशीन जल्दी ही सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में सभी निर्माणाधीन सुरंगों की समीक्षा करने का फैसला लिया है।

सिलक्यारा पहुंचे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उनसे लगातार बातचीत हो रही है। सुरंग में फंसे झारखंड निवासी 22 साल के महादेव ने अपने मामा से बातचीत की। महादेव ने कहा कि वह और उसके सभी साथी सुरक्षित हैं। सुरंग में फंसे महादेव का अपने मामा से बातचीत का ऑडियो भी सामने आया है। चारधाम ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था। तब से 40 मजदूर उसके अंदर फंसे हुए हैं।

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए दिल्ली से एयरफोर्स के विमानों से एक भारी ऑगर मशीन चिन्यालीसौड़ भेजी गई। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के अनुरोध पर पीएमओ के आदेश पर सेना की अति आधुनिक ऑगर मशीन उपलब्ध कराई गई है। इन मशीनों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है।

बताया गया कि ऑगर मशीन के हिस्सों की पहली खेप सिलक्यारा सुरंग पर पहुंच गई है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अब नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद भी ली जा रही है। सुरंग में मंगलवार रात को ताजा भूस्खलन के चलते एस्केप टनल बनाने के लिए की जा रही ड्रिलिंग को रोकना पड़ा था। इसके बाद ड्रिलिंग के लिए लाई गई ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी जिससे बचाव काम बाधित हुआ था।

अधिकारियों ने बताया कि नई ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने से पहले सिलक्यारा सुरंग के बाहर पूजा भी की गई । केंद्रीय नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने सिलक्यारा पहुंचकर सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान का निरीक्षण किया।

इससे पहले मंगलवार देर रात मलबे की ड्रिलिंग के दौरान भूस्खलन होने व मिट्टी गिरने से काम को बीच में रोकना पड़ा था। बाद में ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी। इसके बाद भारतीय वायु सेना के सी 130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी, अत्याधुनिक, बड़ी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गई।

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