प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- किसानों को फ्री में क्यों नहीं देते मशीन?

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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि खेतों में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हुई हैं. 984 FIR दर्ज किए गए हैं और एडवोकेट जनरल के मुताबिक, वे जमीन मालिकों के खिलाफ हैं राजस्व रिकॉर्ड में इंट्रियां की गई हैं. पंजाब में हुई कुल पारली जलाने की घटनाओं में से फील्ड विजिट के बाद पता चला कि केवल 20 फीसदी मामलों में ही जुर्माना लगाया गया है. दो करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है. बाकी रकम भी वसूल की जानी चाहिए, जहां तक​पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए उपायों का सवाल है, केंद्र द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट स्पष्ट करती है.

सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को मामले पर अगली सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के निर्देश देने वाले 2019 के आदेश से उत्पन्न मुद्दे को चिह्नित किया है. उनका कहना है कि इस रिकॉर्ड में पंजाब का कोई डेटा नहीं रखा गया है. स्थिति रिपोर्ट से पता चला है कि मशीनों की संख्या 128378 है और सीएचसी की संख्या 25417 है. पराली जलाने को कम करने के लिए नए उपाय अपनाने के सुझाव दिए गए हैं इनकी जांच कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जाएगी.

जस्टिस धूलिया ने कहा कि किसान को खलनायक बनाया जा रहा है और उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उसके पास पराली जलाने के कुछ तो कारण होंगे. जस्टिस धूलिया ने कहा कि आप किसानों को फ्री में मशीन क्यों नहीं देते जबकि मशीने चलाने में डीजल और मैन पावर भी लगता है. मशीनरी खरीदने के लिए किसानों और सहकारी समितियों के लिए कुछ सब्सिडी है. हालांकि इन मशीनों को कस्टम हायरिंग केंद्रों से किराए पर लेना मुफ़्त है हमने एजी (एडवोकेट जनरल) से कहा है कि राज्य इन पहलुओं (डीजल, मैनपावर, आदि) को निशुल्क मुहैया क्यों नहीं कर सकते हैं और बाईप्रोडक्ट का उपयोग क्यों नहीं कर सकते हैं?

जस्टिस कौल ने कहा कि पंजाब राज्य को किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने के तरीके में हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए उन्होंने कहा कि पंजाब में जमीन धीरे-धीरे शुष्क होती जा रही है, क्योंकि जल स्तर कम होता जा रहा है यदि ज़मीन सूख गई तो बाकी सब चीजें प्रभावित होंगी। कहीं ना कहीं किसानों को धान उगाने के दुष्परिणामों को समझना चाहिए या समझाया जाना चाहिए वकील विकास सिंह ने कहा कि किसानों ने कहा है कि वे धान नहीं उगाना चाहते हैं, बल्कि एमएसपी के मुद्दे के कारण ही उगाना चाहते हैं.

जस्टिस कौल ने कहा कि वकील महोदय कृपया पता लगाएं कि आप धान को कैसे हतोत्साहित कर सकते हैं और वैकल्पिक फसलों को प्रोत्साहित कर सकते हैं. कोर्ट ने झा कमेटी को चावल की खेती को हतोत्साहित करने के पहलू पर गौर करना चाहिए. जस्टिस कौल ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इसमें राजनीति को भूल जाना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि यह कैसे करना है. अगर आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी रहा तो जमीन सूख जाएगी, पानी गायब हो जाएगा. कोई भी कुछ समूहों को नाराज नहीं करना चाहता. जस्टिस कौल ने कहा कि हर हाल में आदेश को लागू कराना लक्ष्य होना चाहिए क्योंकि इसके बुरे प्रभाव बहुत ही खतरनाक हैं तो हर हाल में आदेश लागू होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-यूपी सरकार को तत्काल कदम उठाने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुले में कूड़ा जलाने की समस्या यूपी-दिल्ली में पहले भी रही है. यह उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी गतिविधि पर रोक लगाएं. जस्टिस कौल ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में नवंबर सबसे प्रदूषित रहा है. समस्या पता है और सिद्धांत भी पता है. लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं.

अदालत का काम यह नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं. इसका काम आपसे आपका काम करवाना है. यदि आप वह लागू नहीं करते जो आपसे अपेक्षित है, तो हमारा काम आपसे काम करवाना है. वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन सांघी रंग-कोडित स्टिकर के गैर-कार्यान्वयन के मुद्दे को उठाना चाहते हैं. उनका कहना है कि नई कारों के लिए, यह योजना लागू की जा रही है, लेकिन पुरानी कारों के लिए नहीं. हम समिति से इस पहलू पर गौर करने और इसका पता लगाएं। बेहतर शिकायत के लिए राज्यों को क्या निर्देश जारी किए जाने चाहिए.

पंजाब सरकार ने कहा कि 100 से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं और 2 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला गया है। लेकिन अब धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है और कानून व्यवस्था का मसला बन रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आपको संभालना है. हमने इंस्पेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे और बीमार लोग प्रभावित हो रहे हैं और पराली जलाना बदस्तूर जारी है. पंजाब सरकार ने कहा पंजाब के 6 जिले में पूरी तरीके से पराली नहीं जलाया गया है.

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