टनल में 39 मीटर तक पहुंची पाइप, अगले 24 घंटे बेहद अहम, जानें एक्सपर्ट की राय

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नई दिल्ली. आखिरकार निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में 10 दिन से अधिक समय से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन द्वारा फिर से ड्रिलिंग फिर शुरू होने से बचाव अभियान में तेजी आ गयी है। इसके पहले टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए स्थान की पहचान कर ली गई। इस बाबत जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया कि 800 एमएम व्यास के पाइप को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। अगले 24 घंटे बेहद अहम हैं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो दो दिनों में मजदूर बाहर आ जाएंगे।

वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू
घटना बाबत BRO के मेजर नमन नरूला ने कहा कि, “वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए हमें एक्सेस सड़क बनाना था जिसमें हमें 1150 मीटर का ट्रैक बनाना था जो कि हमने 20 तारीख को बना दिया था। इस ट्रैक के अंतिम छोर पर दो वर्टिकल ड्रिलिंग होने हैं जिसके लिए दो ड्रिलिंग मशीन पहुंचनी थी जिसमें से एक पहुंच चुकी है।हमें एक और एक्सेस सड़क बड़कोट से बनानी थी जो टनल का दूसरा साइड है उसका सर्वे हमारा कल पूरा हुआ है। हमारी मशीनरी वहां पहुंच चुकी है ताकि अगर जरूरत पड़ी तो हम वहां पर आज से काम शुरू कर सके।”

मिशन जल्द होगा सफल
जानकारी दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत ड्रिलिंग फिर से शुरू हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि ड्रिलिंग के जरिए पाइप 32 मीटर अंदर तक पहुंच गई है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि ,” यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि क्षैतिज पाइपलाइन सुरंग के अंदर से 39 मीटर पाइपलाइन ड्रिल की गई है। सब कुछ अच्छा चल रहा है, मैंने उनसे बात की और हर कोई उत्साहित था। आशा करते हैं कि हम इसे हासिल करने में सक्षम होंगे।”

खाने में भेजा गया पनीर-पुलाव
मिली जानकारी के अनुसार सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए रात को पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन वाली रोटी भेजी गई थी। इस खाने को डॉक्टर की देखरेख में तैयार किया गया था। इस बात की जानकारी रसोइया संजीत राणा ने दी है। उन्होंने बताया कि कम तेल और मसालों के साथ तैयार ये खाना तैयार किया गया था। मजदूरों को कुल 150 पैकेट खाना भेजा गया था। दिन में उन्हें फल भेजे गए थे। बता दें की 12 नवंबर को 4 किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए थे।

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