लखनऊ : भारत सरकार ने राष्ट्रीय फॉर्मेसी आयोग के गठन पर उत्तर प्रदेश सरकार से भी राय मांगी है। प्रस्तावित नेशनल फॉर्मेसी कमीशन बिल पर शासन द्वारा आख्या तैयार कराई जा रही है। आयोग के गठन के बाद फॉर्मेसी काउंसिल समाप्त हो जाएगी। यूपी में भी आयोग की एक शाखा गठित होगी। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित इस बिल पर शासन ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश तथा रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल से आख्या मांगी है। उत्तर प्रदेश फॉर्मेसी काउंसिल के ओएसडी रमेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक आयोग का गठन हो जाने से फॉर्मेसी का विकास और तेजी से हो सकेगा। केंद्र में आयोग का गठन हो जाने के एक साल के अंदर राज्य भी केंद्रीय आयोग की तर्ज पर आयोग की राज्य शाखा का गठन होगा। तीन बोर्ड और एक एडवाइजरी काउंसिल बनेगी। आयोग की राज्य शाखाओं को अधिक शक्ति मिलेगी।
आयोग के गठन से देश में फॉर्मेसी शिक्षा का स्तर और ऊंचा होगा। फॉर्मेसी के विकास के लिए नई नीतियां बनाने का काम आसान हो जाएगा। गौरतलब है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने 10 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी कर बिल पर जनता की राय मांगी है। इस बिल के पास हो जाने पर फॉर्मेसी काउंसिल समाप्त हो जाएगी। इसकी जगह राष्ट्रीय फॉर्मेसी आयोग ले लेगा। फार्मेसी से जुड़े लोगों का कहना है कि आयोग में उच्च फॉर्मेसी संस्थाओं को ही अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना प्रस्तावित है। डिप्लोमा फॉर्मेसी, बी-फार्मा को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना बेहतर होगा।