दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों के आपातकालीन वार्डों में भीड़ प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गंभीर रोगियों के लिए त्वरित चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए यहां सरकारी अस्पतालों के आपातकालीन वार्डों में भीड़भाड़ के प्रबंधन करने की गंभीर आवश्यकता को रेखांकित किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर 2017 में शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एम्स के डॉक्टरों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण की कमी को उजागर किया गया था।

पीठ ने सरकारी अस्पतालों, विशेषकर आपातकालीन वार्डों में समग्र बुनियादी सुविधाओं को उन्नत करने और बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। अदालत ने कहा कि शुरुआती घंटे में जब गंभीर रोगियों को अस्पतालों में लाया जाता है, वे महत्वपूर्ण होते हैं, जिसे अक्सर “सुनहरे घंटे” के रूप में जाना जाता है, जो जीवन और मृत्यु के बीच महत्वपूर्ण अंतर ला सकते हैं।

इसने गंभीर देखभाल की आवश्यकता वाले रोगियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आपातकालीन वार्डों में जगह, चिकित्सा सुविधाएं, डॉक्टरों की संख्या और चिकित्सा उपकरण बढ़ाने के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान किया। केंद्र को अपने नियंत्रण वाले अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने का निर्देश देते हुए, अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) को आपातकालीन वार्ड के बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर विशेष ध्यान देने और अपने अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारों को 12 सप्ताह के भीतर मामले में अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च 2024 को होगी।

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