‘जम्मू कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाइयों-बहनों..’, 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक
नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार (11 दिसंबर) को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “ऐतिहासिक” करार दिया है। उन्होंने कहा कि, ‘अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है और संवैधानिक रूप से 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए निर्णय को बरकरार रखता है; यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि, ”न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से एकता के उस सार को मजबूत किया है जिसे हम भारतीय होने के नाते सबसे अधिक महत्व देते हैं हैं। मैं जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की अपनी जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रगति का फल न केवल आप तक पहुंचे, बल्कि उनका लाभ सबसे कमजोर और हाशिए पर मौजूद हमारे समाज के उन वर्गों तक भी पहुंचे, जो धारा 370 के कारण पीड़ित रहा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि, “आज का फैसला सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं है; यह आशा की किरण है, उज्जवल भविष्य का वादा है और एक मजबूत, अधिक एकजुट भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है।” बता दें कि, 370 हटाना भाजपा के शुरूआती अभियानों में से एक था, वो भी तब जब उसके देशभर में मात्र 2 सांसद थे। भाजपा के गठन से भी पहले श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए आवाज़ उठाई थी, उन्होंने कहा था कि, एक देश में दो संविधान, दो निशान (दो ध्वज) और दो प्रधान (प्रधानमंत्री) नहीं होने चाहिए। भाजपा उन्ही श्यामाप्रसाद मुखर्जी को अपना प्रेरणास्त्रोत मानती है, जिनकी कश्मीर की जेल में रहस्यमयी मौत हो गई थी।
आज यानी सोमवार (11 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर मुहर लगाते हुए मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। बता दें कि, पूर्व कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया था और जम्मू कश्मीर में 370 फिर से लागू करवाने की मांग की थी। यहाँ तक कि, इसके लिए सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने तक की मांग कर डाली थी, हालाँकि, कोर्ट में उनकी दलीलें नहीं चलीं और मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी।
CJI चंद्रचूड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका उल्लेख है। CJI चंद्रचूड़ ने जोर देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के भंग होने के बाद भी लागू रहती है। CJI ने कहा कि, प्रदेश को 370 हटने से फायदा हुआ है और केंद्र सरकार का ये फैसला देशहित में है। साथ ही CJI ने ये भी कहा कि, 370 अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे हटाया जा सकता था और इसे हटाने की प्रक्रिया में केंद्र सरकार ने संविधान का कोई उल्लंघन नहीं किया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, भारत का संविधान ही जम्मू कश्मीर में भी लागू होगा।