नई दिल्ली : सनातन धर्म में हर पर्व का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक आगामी 17 दिसंबर को विवाह पंचमी हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माता सीता और प्रभु राम का विवाह मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था. इस पवित्र दिन पर सनातन धर्म को मानने वाले लोग माता सीता और प्रभु राम की पूजा आराधना करते हैं.
रामायण के मुताबिक मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया था. उस दौरान गुरु वशिष्ट के साथ प्रभु राम और भैया लक्ष्मण भी सीता स्वयंवर में गए थे. राजा जनक चाहते थे कि उनकी पुत्री का विवाह आदर्शवादी पुरुष से हो इसके बाद राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया और उसमें जो धनुष रखा गया. वह शिव जी का धनुष था.
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान राम भी उस सीता स्वयंवर में पहुंचे. जहां कई शक्तिशाली राजा भी आए थे. सीता स्वयंवर में तमाम वीरों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और धनुष उठाने का प्रयास किया. लेकिन सभी लोग असफल रहे. इसके बाद गुरु वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव धनुष तोड़ने की यानी की प्रत्यंचा चढ़ाने की आज्ञा ली. इसके बाद भगवान राम जैसे ही धनुष को उठाया उसके दो टुकड़े हो गए. तब राजा जनक ने प्रभु राम का विवाह माता सीता से किया और वह दिन था मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, जिसे आज भी विवाह पंचमी के तौर पर मनाया जाता है.
इतना ही नहीं विवाह पंचमी के दिन वैवाहिक जीवन में चल रही तनाव से भी मुक्ति के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं. वह उपाय करने से तमाम तरह के विवाह में हो रही देरी वैवाहिक जीवन में चल रहे तनाव से भी जातक को मुक्ति मिलती है. अगर आप भी अपने विवाह से परेशान है या फिर वैवाहिक जीवन से परेशान है तो विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए. विवाह पंचमी की कथा सुनाई चाहिए. इसके अलावा प्रभु राम माता सीता की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए.
दरअसल अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि पंचांग के मुताबिक आगामी 17 दिसंबर को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही प्रभु राम और माता जानकी का विवाह हुआ था. इस दिन कुछ खास उपाय करने से दांपत्य जीवन में आ रही तमाम परेशानियां से मुक्ति मिलती है.
अगर आपके विवाह में देरी हो रही है तो फिर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. विवाह पंचमी यानी 17 दिसंबर को प्रभु राम और माता सीता के मंत्रो का जाप करें. रामचरितमानस का पाठ करें. ऐसा करने से शीघ्र ही विवाह के योग्य बनेंगे .
अगर आप किसी से प्रेम कर रहे हैं और उस प्रेमी से आप शादी करना चाहते हैं तो विवाह पंचमी के दिन सुहाग की सामग्री को माता सीता के चरणों में अर्पित करना चाहिए .तथा मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए भगवान राम और माता जानकी से प्रार्थना करनी चाहिए. माता सीता के चरणों में समर्पित सुहाग के समान को किसी सुहागिन महिला को देना चाहिए. ऐसा करने से जल्दी जीवनसाथी का साथ मिलेगा.
अगर आपकी शादी बार-बार टूट जा रही है और आपका विवाह नहीं हो रहा है तो फिर विवाह पंचमी के दिन विधि विधान पूर्व के माता सीता और प्रभु राम का राम और सीता के मंदिर में जाकर उनके विवाह में सम्मिलित होना चाहिए उनसे प्रार्थना करनी चाहिए .
अगर आप की दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि में कोई अड़चन पैदा हो रही है. पति-पत्नी के बीच में झगड़ा हो रहा है तो फिर विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस में वर्णित राम सीता विवाह प्रसंग का पाठ करें. ऐसा करने से शादीशुदा जीवन में मिठास आएगा.
इसके बाद उन्हें सुगंधित फूल,पेड़ा, फल आदि अर्पण करना चाहिए.इसके बाद उनके सामने रामायण के बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करना चाहिए.जो लोग इस पाठ को नहीं कर पाते वो ‘ॐ जानकीवल्लभाय नमः’ का 108 बार पाठ करना चाहिए.इस मंत्र जाप के बीच प्रभु श्री राम और माता जानकी के कपड़ों का गठबंधन करना चाहिए. उसके बाद धूप,अगरबत्ती दिखाकर देसी घी के दीपक से उनकी आरती उतारनी चाहिए.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भक्तों की सभी मनचाही मुरादें पूरी हो जाती है.