नईदिल्ली : एक समय ऐसा था जब विदेशी कंपनियां चीन में अपना कारोबार बढ़ा रही थीं। लेकिन अब विदेशी कंपनियां चीन से मुंह मोड़ने लगी हैं। दुनियाभर के अरबपतियों को कारोबार के लिए अब चीन पसंद नहीं आ रहा है। अब अबू धाबी अरबपतियों की पहली पसंद बन गया है। पूरी दुनिया के अरबपति अपना कारोबार अब अबू धाबी में ले जा रहे हैं। यह चीन के लिए एक बड़ा झटका है।
विदेशी निवेशक चीन से अपना कारोबार समेट रहे हैं। इससे चीन के आर्थिक हालात खराब हो रहे हैं। लेकिन आखिर अबू धाबी में ऐसा क्या है जो कारोबारियों को अब ये इतना पसंद आ रहा है। आखिर क्यों दुनियाभर के अरबपति अपने कारोबार को यूएई की राजधानी अबू धाबी लेकर जा रहे हैं। आईए आपको बताते हैं।
हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी के सबसे अमीर आदमी झाओ चांगपेंग, हेज फंड अरबपति रे डेलियो और रूसी स्टील मैग्नेट व्लादिमीर लिसिन ने अपने एसेट संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में ट्रांसफर किए हैं। वेल्थ एडवाइजरी फर्म एम/एचक्यू के आंकड़ों से इस बात का पता चला है। आंकड़ों के मुताबिक, ये गगनचुंबी इमारतों वाला देश अरबपतियों की पहली पसंद बन चुका है।
आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में अरबपतियों की बढ़ती संख्या इस साल अबू धाबी में स्पेशल पर्पस इंटाइटी (SPE) स्थापित कर रही है। बता दें कि एसपीई फाइनेंशियल रिस्क को कम करने के लिए मूल कंपनी द्वारा बनाई गई एक सहायक कंपनी होती है। इन्हें होल्डिंग कंपनी भी कहा जाता है। एक अलग कंपनी के रूप में इसकी कानूनी स्थिति इसके दायित्वों को सुरक्षित बनाती है, भले ही मूल कंपनी दिवालिया हो जाए। ये खुद की बैलेंस शीट के साथ स्थापित होती हैं। वेल्थ एडवाइजरी फर्म के मुताबिक, साल 2016 में 46 की तुलना में अभी 5,000 से ज्यादा एसपीई अबू धाबी ग्लोबल मार्केट में मौजूद हैं।
अबू धाबी अरबपतियों के लिए स्वर्ग बनता जा रहा है। यहां पर तेजी से अरबपतियों की संख्या बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह भी पता चला है कि यूएई 2023 में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका और स्विट्जरलैंड के साथ एचएनडब्ल्यूआई के नेट इनफ्लो के लिए टॉप पांच डेस्टिनेशनस में से एक बनकर उभरा है। ज़ाव्या द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 4,500 अरबपति संयुक्त अरब अमीरात चले गए हैं।
हाल ही में 5 दिसंबर को, करीब 7.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ, मिस्र के सबसे धनी व्यक्ति नासेफ सविरिस ने अपना फैमिली ऑफिस अबू धाबी में ट्रांसफर किया है। इसी तरह, रूस के व्लादिमीर लिसिन ने भी अपने एसेट अबू धाबी में ट्रांसफर किए हैं। इनकी कीमत करीब 23 बिलियन डॉलर है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अरबपतियों के अबू धाबी जाने की एक वजह टैक्स रेट भी है। यह अरबपतियों को एसपीवी के भीतर होल्डिंग्स के लिए अपने टैक्स बिल को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं प्रॉपर्टीज को विदेशी हस्तक्षेप से बचाने के लिए अमीरात के पास सिस्टम भी मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त, यूएई ने यूक्रेन युद्ध के कारण रूस जैसे देशों पर प्रतिबंध लगाने से भी दूरी बना ली है।