नई दिल्ली : राज्यसभा में शुक्रवार को भी हंगामा जारी रहा। हंगामे के कारण पहले सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। 2 बजे सदन प्रारंभ होने पर फिर से विपक्षी सांसदों ने सुरक्षा का मुद्दा उठाया और सदन में चर्चा की मांग की।
अनुमति न मिलने पर सांसदों ने नारेबाजी की, इसके बाद सदन की कार्यवाही सोमवार 18 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। शुक्रवार को विपक्ष के 23 सांसदों ने नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए सभापति को नोटिस दिया थे। अपने इन नोटिस में विपक्षी सांसदों ने संसद की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और इस पर चर्चा की मांग की।
विपक्षी सांसद चाहते थे कि राज्यसभा के शेष सभी कार्य स्थगित करके इस विषय पर चर्चा कराई जाए। लेकिन, चर्चा के लिए दिए गए सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए गए। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे फिर 18 दिसंबर सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दरअसल, 13 दिसंबर को लोकसभा में दो व्यक्तियों के घुस आने के बाद से यह मुद्दा खड़ा हुआ। लोकसभा में बुधवार को दो युवक दर्शक दीर्घा से कूदकर सदन में घुस आए। इन युवकों ने लोकसभा में सांसदों के बीच रंग वाले पटाखों से धुआं फैला दिया था। इससे सदन में पीला धुआं हो गया। राज्यसभा में विपक्षी सांसद इसे सुरक्षा में गंभीर चूक बता रहे हैं।
शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष, सुरक्षा में गंभीर चूक का आरोप लगाते हुए गृहमंत्री से जानकारी व जवाब देने की मांग कर रहा है। मांग न माने जाने पर विपक्ष ने नारेबाजी की।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में दो लोगों के कूदने को गंभीर मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि मामला बहुत गंभीर है। यह सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा का सवाल नहीं है, बात यह है कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद दो लोग कैसे अंदर आए और सुरक्षा में सेंध लगाई।
राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का कहना है कि क्या सुरक्षा में चूक पर विपक्ष की चर्चा की मांग नाजायज है। अगर संसद सुरक्षित नहीं, तो क्या देश सुरक्षित है, यह बड़ा सवाल खड़ा होता है। सदन को भरोसे में लिया जाए और उस पर एक चर्चा हो यही हमारी मांग है।
राज्यसभा में बन रहे इस गतिरोध को खत्म करने के लिए सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता सदन पीयूष गोयल समेत राज्यसभा में सभी फ्लोर लीडर्स को चर्चा के लिए अपने चैंबर में आमंत्रित किया। लेकिन, फिर भी बात नहीं बन सकी और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।