1971 के युद्ध में इजरायल ने की थी भारत की अहम मदद, गुपचुप हुई थी डील

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नई दिल्ली : साल 1971 में दक्षिण एशिया में एक नए देश बांग्लादेश ने जन्म लिया था। ये तब हुआ था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौज को पटखनी देते हुए सरेंडर पर मजबूर कर दिया था। 1971 में आज की ही तारीख यानी 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना ने सिर्फ 13 दिनों की लड़ाई के बाद आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश बन गया था। इस लड़ाई में विश्व के दूसरे देशों की भूमिका पर भी कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं। अब इस संबंध में एक और दावा सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि इस जंग में इजरायल ने भारत की मदद की थी।

श्रीनाथ राघवन की इसी साल आई किताब, ‘1971’ में भारत-पाक के 1971 के युद्ध के बारे में कुछ नई बातें कहीं गई हैं। राघवन ने नई दिल्ली में नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में रखे गए पीएन हक्सर के दस्तावेजों के आधार पर इस युद्ध के छुपे पहलुओं का खुलासा किया है। पीएन हक्सर तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के सलाहकार थे। उनके दस्तावेजों पर राघवन ने शोध किया है। जिसमें सामने आया कि इजरायल से उस वक्त भारत को मदद मिली थी।

राघवन की किताब कहती है कि फ्रांस में भारत के राजदूत डीएन चटर्जी ने 6 जुलाई, 1971 को विदेश मंत्रालय को एक नोट के साथ इजरायली हथियार प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की। इंदिरा गांधी के सामने ये प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद खुफिया एजेंसी रॉ के जरिए इजरायल के माध्यम से हथियार प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। दस्तावेज कहते हैं कि इजराइल उस समय हथियारों की कमी से जूझ रहा था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने ईरान को दिए जाने वाले हथियारों को भारत को देने का फैसला लिया।

इन दस्तावेजों में ये भी कहा गया है कि इजरायली पीएम ने सीक्रेट ट्रांसफर को संभालने वाली फर्म के निदेशक श्लोमो जबुलडोविक्ज के माध्यम से हिब्रू में इंदिरा गांधी को एक नोट भेजा, जिसमें हथियारों के बदले में राजनयिक संबंधों का अनुरोध किया गया था। क्योंकि उस समय भारत के इजरायल के साथ राजनयिक संबंध नहीं थे। भारत ने 1948 में इजरायल के निर्माण के खिलाफ मतदान किया था। भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में भी लगातार फिलिस्तिनियों का समर्थन किया था। हालांकि उस समय दोनों देशों में राजनयिक संबंध नहीं स्थापरित हो सके। दोनों देशों के बीच 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित हो सके जब नरसिम्हा राव भारतीय प्रधानमंत्री थे।

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