नई दिल्ली : पिछले नौ साल में देश में सड़क निर्माण में एक उल्लेखनीय प्रगति यह हुई है कि फोर लेन हाईवे का दायरा ढाई गुना बढ़ गया है। इसका परिणाम यह है कि दो लेन से कम सड़कें अब केवल 10 प्रतिशत रह गई हैं, जो नौ साल पहले तीस प्रतिशत थीं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय बुनियादी ढांचे के विकास के अपने एजेंडे को धार देने के लिए इस चुनावी वर्ष में दस हजार किलोमीटर से अधिक के हाईवे निर्माण के ठेके देने जा रहा है।
मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने शुक्रवार को 2023 का लेखा-जोखा देते हुए बताया कि 2014 यानी केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज संभालने के बाद से नवंबर 2023 तक राष्ट्रीय राजमार्गों में साठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014 में यह 91,287 किलोमीटर थी, जो अब 1,46,1145 किलोमीटर हो गई है। मंत्रालय ने 31 दिसंबर तक 6,217 किलोमीटर हाईवे निर्माण किया है और उसे इस वित्तीय वर्ष में 13,800 किलोमीटर का लक्ष्य पूरा हो जाने का भरोसा है।
अनुराग जैन के मुताबिक ठेका आवंटित करने से लेकर तमाम मंजूरियों की प्रक्रिया तेज गई है। इसका फायदा इस साल सड़क निर्माण में सामने आएगा। 2024 आम चुनाव का वर्ष है और सरकार बुनियादी ढांचे के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। अनुराग जैन ने कहा कि आचार संहिता के कारण सड़क निर्माण के लिए टेंडर अवार्ड करने अथवा काम शुरू करने के लिहाज से कोई देरी नहीं होगी, क्योंकि हमने इसके लिए पर्याप्त तैयारी कर ली है।
जैन ने इसको लेकर भी संतोष जताया कि सड़क निर्माण में निजी क्षेत्र का भरोसा बढ़ रहा है। पिछले साल के अंत में एनएनएआइ ने दो बंडल जिस तरह अवार्ड किए, वह इसकी बानगी है। उनके अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष हाईवे निर्माण की रफ्तार अच्छी है। पिछली बार दिसंबर तक 5,774 किलोमीटर हाईवे निर्माण हुआ था, जो इस साल 443 किलोमीटर अधिक रहा है।
मोदी सरकार ने हाईवे निर्माण के साथ हाईस्पीड कारिडोर (एक्सप्रेस वे) के निर्माण में सबसे अधिक ध्यान दिया है। पिछले नौ साल में ऐसी सड़कें दस गुना बढ़ी हैं। 2014 में हाई स्पीड कारिडोर केवल 353 किलोमीटर था, जो अब 3913 किलोमीटर हो गया है। लोगों को अच्छी सड़कों के रूप में सुगम सफर की सुविधा मिल रही है तो एनएचएआई का टोल संग्रह भी बढ़ रहा है। जैन के अनुसार एनएचएआइ ने इस वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक 18,540 करोड़ रुपये टोल के रूप में जुटाए हैं।
अनुराग जैन ने बताया कि विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए केंद्र सरकार 2047 तक 50,000 किलोमीटर एक्सप्रेस वे का ढांचा देश में तैयार करने की दिशा में काम कर रही है। एक विकसित देश की निशानी होती है कि उसका पूरा रोड नेटवर्क एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेव वे के जरिये जुड़ा हो, क्योंकि इससे तीव्र परिवहन के साथ लाजिस्टिक लागत काफी कम हो जाती है। इस लक्ष्य को हम हासिल कर लेंगे, क्योंकि हमने दीर्घावधि के रूप में अगले दस सालों में एक्सप्रेव वे के नेटवर्क को 3,5000 किलोमीटर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।