अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर नाखुश हुआ पाकिस्तान, लोकतंत्र पर भारत को देने लगा ज्ञान
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा हो चुका है। हालांकि, अब पड़ोसी पाकिस्तान इससे खास खुश नजर नहीं आ रहा है। पाकिस्तान ने भारत में बढ़ती ‘हिन्दुत्व विचारधारा’ को शांति के लिए ‘खतरा’ करार दिया है। साथ ही भारत में इस्लामिक विरासत स्थलों को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से दखल देने की अपील की है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (FO) की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सोमवार को एक समारोह के दौरान अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद आई। पाकिस्तान ने मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की निंदा की है। उसका कहना है, ‘आने वाले समय में यह भारत में लोकतंत्र के चेहरे पर एक धब्बे की तरह बना रहेगा।’
विदेश कार्यालय ने कहा, ‘पिछले 31 वर्षों के दौरान के घटनाक्रम के बाद आज का प्राण प्रतिष्ठा समारोह भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद का संकेत है। यह भारतीय मुसलमानों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेलने के लिए किये जा रहे प्रयास के तहत उठाया गया कदम है।’ इसके अनुसार, ‘भारत में ‘हिंदुत्व’ की बढ़ती विचारधारा धार्मिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है।’
आगे कहा गया, ‘भारत के दो बडे़ राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने बाबरी विध्वंस या राम मंदिर के उद्घाटन का हवाला देते हुए कहा है कि ये पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को दोबारा हासिल करने की ओर पहला कदम है।’
FO ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया, नफरती भाषण पर संज्ञान लेना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र और अन्य संबंधित अंतराष्ट्रीय संगठनों को भारत में चरमपंथी समूहों से इस्लामिक विरासतों को बचाने और अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों को बचाने में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।’ पाकिस्तान ने भारत सरकार से मुसलमानों सहित धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा।
22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा हो चुका है। सोमवार को हुए भव्य आयोजन में करीब 7 हजार मेहमानों ने शिरकत की। समारोह के दौरान गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मौजूद रहे। 23 जनवरी यानी मंगलवार से मंदिर आम जनता के लिए खुल जाएगा।