नई दिल्ली : अयोध्या में भगवान रामलला विराजमान हो गए है इस समय प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या राम नाम से जगमगा रही है। सोमवार यानि 22 जनवरी को प्रभु की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो गया था। श्री राम के बाल रूप स्वरूप में मूर्ति का निर्माण किया गया है, जो श्यामल रंग की है। ऐसे में कई लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर भगवान श्री राम की मूर्ति काले रंग की ही क्यों बनाई गयी है।
महर्षि वाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के श्यामल रूप का वर्णन किया गया है। इसलिए प्रभु को श्यामल रूप में पूजा जाता है। वहीं, श्री राम की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला के पत्थर से किया गया है। यह पत्थर बेहद खास है। श्याम शिला की आयु हजारों वर्ष मानी जाती है। यही वजह है की मूर्ति हजारों सालों तक अच्छी अवस्था में रहेगी और इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं आएगा। वहीं, हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान अभिषेक किया जाता है। ऐसे में मूर्ति को जल, चंदन, रोली या दूध जैसी चीजों से भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।
बालस्वरूप में क्यों बनाई गई प्रतिमा?
प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया का मतलब है मूर्ति में प्राण डालना। बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है। मूर्ति में प्राण डालने के लिए मंत्र उच्चारण के साथ देवों का आवाहन किया जाता है। इसलिए जिस प्रतिमा को पूजा जाता है उसकी प्राण प्रतिष्ठा करना जरूरी माना जाता है।