नई दिल्ली: मोदी सरकार अब ब्लू इकोनॉमी पर अपना फोकस तेजी से बढ़ा रही है. ब्लू इकोनॉमी यानी समुद्र से होने वाली आय. फिर चाहें समुद्री जीवों को निर्यात करना हो या फिर समुद्री रास्ते से कारोबार. मोदी सरकार इस ब्लू रिवोल्यूशन का दायरा बढ़ा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अपने बजट भाषण में इसका उदाहरण भी पेश किया. 2015 के बाद में मोदी सरकार ने इसको लेकर कई ऐलान किए हैं. इसका फायदा भी मिला है.
अब बजट में निर्मला सीतारमण ने ब्लू रिवोल्यूशन में सरकारी खर्च बढ़ाया है. 2023-24 बजट में ब्लू रिवोल्यूशन के लिए 2,025 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे, जो 2024-25 के लिए बढ़ाकर 2,352 करोड़ रुपए कर दिए गए हैं. प्रधानमंत्री मत्सय संपदा योजना को भी और सशक्त करने की घोषणा हुई है. इससे एक्वाकल्चर और बेहतर होगा. निर्यात दोगुना होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस साल के बजट में 5 एक्वा पार्क को बनाने की घोषणा भी हुई है. जानिए मोदी सरकार में कैसे ब्लू रिवोल्यूशन को बढ़ावा मिला और बड़ा बदलाव आया.
भारत सरकार ने 2015 से ही ब्लू इकोनॉमी के लिए गंभीरता के साथ कई ऐलान करने शुरू किए.यह इकोनॉमी सरकार के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री मोदी के मार्च 2015 के बयान में मिलता है. उन्होंने कहा था, ‘भारत के राष्ट्रीय ध्वज में नीला पहिया ब्लू रिवोल्यूशन की क्षमताओं का प्रतीक है.’ उसी साल सरकार ने ‘ब्लू रिवोल्यूशन: इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट ऑफ फिशरीज’ भी लाॅन्च किया था. इस योजना के लिए 3000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए.
2018-19 में मछली पालन के लिए ‘फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड’ बनाया गया. फंड के लिए 7522.48 करोड़ रुपए जारी किए थे. इन पैसों से राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेश सरकारों और निजी सेक्टर को वित्तीय रियायत दी गई. इसका असर अगले साल दिखा भी, जब मछली उत्पादन में 7% से ज्यादा की औसत सालाना वृद्धि दर्ज की गई.
साल 2020 में फ्लैगशिप ‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ की शुरूआत हुई. निर्मला सीतारमण के हालिया बजट में भी इस योजना का जिक्र है. इसका मकसद देश में ब्लू रिवॉल्यूशन लाना है. योजना लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने योजना में साल 2020 में भारी भरकम 20,500 करोड़ रुपए का निवेश भी किया. यह योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2020 से 2025 तक पांच साल के लिए लागू की गई है.
भारत सरकार की इन सब योजनाओं का परिणाम रहा कि 2019-20 में मछली उत्पादन 141.64 लाख मीट्रिक टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया. यही नहीं, कोविड-19 महामारी की विभिन्न समस्याओं के बावजूद, इस क्षेत्र ने ऑल टाइम हाई एक्सपोर्ट हासिल किया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने अप्रैल-2021 से फरवरी 2022 के दौरान 7165 मिलियन डॉलर के समुद्री उत्पाद का निर्यात किया था.
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि आने वाले सालों में ब्लू इकोनॉमी भारत की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनकर उभरेगी. 2016 के जीडीपी में भारत की ब्लू इकोनॉमी का योगदान 4.1 रहा था. राष्ट्रीय नीति का लक्ष्य इस आंकड़े को 2047 तक दो अंकों तक बढ़ाने का है. खास बात है किसमुद्र से जुड़ी यह अर्थव्यवस्था 40 लाख से ज्यादा मछुआरों और तटीय समुदायों का भरण-पोषण करती है.