सर्वाइकल कैंसर से देश में रोजाना 211 महिलाएं तोड़ रही दम, बजट में वैक्सीन का ऐलान

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नई दिल्ली : सर्वाइकल कैंसर भारत (India) में महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर (Cancer) का दूसरा सबसे प्रचलित रूप है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) की इसी गंभीरता को देखते हुए बजट में इसके लिए टीकाकरण कार्यक्रम का एलान किया है। इसके तहत देश में 9 से 14 वर्ष की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन (cervical cancer vaccine) दी जाएगी। इस फैसले के बाद खतरे में जी रही महिलाओं में उम्मीद जगी है। हालांकि, चिंता की बात यह है कि देश में 15 वर्ष से ऊपर की 50 करोड़ से ज्यादा महिलाओं पर इसका खतरा मंडरा रहा है। जबकि, हर साल 77 हजार महिलाओं की इस बीमारी से मौत हो रही है। यानी हर दिन करीब 211 महिलाएं दम तोड़ रही हैं।

आमतौर पर महिलाओं में 30 वर्ष की उम्र से पहले सर्वाइकल कैंसर के लक्षण सामने नहीं आते हैं। लड़कियों के यौन रूप से सक्रिय होने से पहले ही 9 से 14 वर्ष की उम्र में अगर टीकाकरण हो जाए, तो वयस्क होने पर कैंसर होने का जोखिम लगभग नगण्य हो जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की कोशिकाओं में होने वाली विकृति है। गर्भाशय के निचले संकीर्ण सिरे को गर्भाशय ग्रीवा कहा जाता है। यह वह हिस्सा है, जो गर्भाशय को जन्म नलिका (वजाइना) से जोड़ता है। यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं हो, तो यह कैंसर जानलेवा होता है।

सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो एक यौन संचारित संक्रमण है। कोशकीय स्थान के आधार पर सर्वाइकल कैंसर को दो नाम स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा व एडेनोकार्सिनोमा दिए गए हैं। करीब 90 फीसदी मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के होते हैं। ये कैंसर एक्टोसर्विक्स की कोशिकाओं से विकसित होते हैं। जबकि, एडेनोकार्सिनोमा सर्विक्स के एडेनोकार्सिनोमा एंडोकर्विक्स ग्रंथि में विकसित होता है। कभी-कभी, सर्वाइकल कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा दोनों की विशेषताएं होती हैं। इसे मिश्रित कार्सिनोमा या एडेनोस्क्वामस कार्सिनोमा कहा जाता है।

असामान्य रक्त स्राव, दुर्गंधयुक्त स्राव और संभोग के दौरान पैल्विक में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके अलावा मासिक धर्म के बीच में रक्त स्राव, रजोनिवृत्ति के बाद भी रक्त स्राव, पीठ व पैर में लगातार दर्द, वजन घटना, थकान और भूख न लगना पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं।

नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की वरिष्ठ डॉ. रेणुका मलिक का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर का समय पर इलाज होने से मरीजों के जीवित रहने की दर अधिकतम 60 फीसदी रहती है। अगर समय रहते इलाज हो, तो मरीज के अगले 5 वर्ष जीवित रहने की संभावना 91 फीसदी रहती है। हालांकि, इलाज को जीवित रहने की गारंटी नहीं कहा जा सकता है।

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