नई दिल्ली: मणिपुर के आदिवासी समूहों (Manipur Tribal Groups) के सदस्यों ने भारत-म्यांमार मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर विरोध जताया है। भारत-म्यांमार सीमा (India-Myanmar border) के करीब रहने वाले लोगों को FMR के तहत बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक भीतर जाने की अनुमति है।
आदिवासी समूहों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर गुरुवार को प्रतिक्रिया दी। शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए FMR को खत्म करने का फैसला किया है। जो यूनाइटेड के प्रवक्ता गिन्जा वुअलजोंग ने कहा, “मणिपुर और मिजोरम में आदिवासी समुदाय FMR के फैसले से खुश नहीं हैं और वे बड़े स्तर पर निर्णय का विरोध करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।”
वुअलजोंग ने कहा, ”हमने बुधवार को गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ तीन घंटे तक बैठक की। हमने बैठक के दौरान उन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जिनका हम अपने देश में सामना कर रहे हैं। उन्होंने हमारे मुद्दों और चिंताओं को धैर्यपूर्वक सुना है और कहा है कि वे इसे उच्च अधिकारियों तक पहुंचायेंगे।” जो यूनाइटेड एक समन्वय निकाय है जिसमें कुकी इंपी मणिपुर, जोमी काउंसिल, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF), कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (COTU), हिल ट्राइबल काउंसिल (HTC) और जनजाति परिषद जैसे सभी शीर्ष संगठन शामिल हैं।