वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा पिछले महीने चंद्रमा पर जाने वाला था। लेकिन इसे उसमें कामयाबी नहीं मिली। एक असफल लैंडिंग के बाद अब नासा एक दूसरे अंतरिक्ष यान के जरिए लैंडिंग करना चाहता है। इसे भी एक दूसरी कंपनी ने बनाया है। चंद्रमा लैंडर, जिसका नाम ओडीसियस या शॉर्ट में ऑडी है, बुधवार को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए उड़ान भरने के लिए तैयार है। रॉकेट अंतरिक्षयान को पृथ्वी के चारों ओर 380,000 किमी तक फैली अंडाकार कक्षा में ले जाएगा।
इंटुएटिव मशीन्स के सीईओ स्टीफन अल्टेमस ने कहा कि यह बेहद तेजी से चंद्रमा तक जाएगा। एक बार जब पृथ्वी की कक्षा में लैंडर रॉकेट से अलग हो जाएगा तो चंद्रमा की सतह की ओर जाने के लिए एक ऑनबोर्ड इंजन का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ना शुरू कर देगा। उम्मीद के मुताबिक 10 दिनों के अंदर ही यह चंद्रमा पर पहुंच जाएगा। 22 फरवरी को यह उतरने का प्रयास करेगा। अगर यह मिशन सफल हुआ तो 1972 में अपोलो-17 मिशन के बाद ओडीसियस चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला अमेरिकी अंतरिक्ष यान बन जाएगा।
फेल हो गया था नासा का मिशन
एक महीने पहले पेरेग्रीन नाम का लैंडर लॉन्च हुआ था, जिसे एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी ने नासा की फंडिग के जरिए विकसित किया था। लेकिन यह अपने मिशन को पूरा नहीं कर पाया। पिट्सबर्ग में मौजूद कंपनी ने 8 जनवरी को इसके लॉन्च होने के कुछ ही घंटे बाद मिशन फेल होने के बारे में बताया था। मिशन फेल होने के 10 दिन बाद पृथ्वी की ओर वापस आते हुए यह वायुमंडल में जल गया। लेकिन अभी भी नासा प्राइवेट कंपनियों को फंडिंग दे रहा है। नासा कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विस (CLPS) कहता है। ओडीसियस की सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
21वीं सदी में पिछड़ा अमेरिका
नासा से जुड़े जोएल किर्न्स ने कहा, ‘CLPS में अमेरिकी कंपनियों ने औपचारिक और पारंपरिक नासा प्रक्रियाओं और नासा निरीक्षण का पालन करने की जगह खुद की इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया है।’ दरअसल इस प्रोग्राम का उद्देश्य चांद पर पहुंचने वाले लैंडरों को सस्ते में बनाना है। 21वीं सदी में अमेरिका काफी पीछे हो गया है। चीन, भारत और जापान वह देश हैं, जिन्होंने 21वीं सदी में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है।