अफगानिस्तान में भारतीय हित साधने की कूटनीति लाई रंग, बिश्केक से आतंकवाद पर करारा प्रहार

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नई दिल्ली : भारत क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थायित्व को लेकर हमेशा संवेदनशील रहा है। आज 16 फरवरी को बिश्केक में अफगानिस्तान को लेकर क्षेत्रीय देशों के सचिवों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में आतंकवाद पर करारा प्रहार करते हुए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत (India) ने बहुत साफ शब्दों में कहा कि वह अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत ने दोहराया कि एक निकटवर्ती पड़ोसी देश होने के नाते अफगानिस्तान में भारत के वैध और सुरक्षा हित हैं। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान से प्रयोजित आतंकी हरकतों और अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल को लेकर आगाह किया।

सूत्र बताते हैं कि भारत ने स्पष्ट शब्दों में अपनी चिंताओं का साझा किया। नई दिल्ली ने साफ कहा कि अफगानिस्तान की जमीन को आतंकियों को शरण देने, प्रशिक्षण देने, आतंकवाद की योजना बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी सगठनों (लश्कर-ए- तोइबा, जैश-ए-मोहम्मद) का नाम लेते हुए कहा कि इस तरह का कोई प्रयास न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा साबित होगा।

गौरतलब है कि उपरोक्त दोनों आतंकी सगठन पड़ोसी देश पाकिस्तान से संचालित होते हैं। आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए इन आतंकी सगंठनों द्वारा अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल करने की सूचनाएं हैं। 1999 में इंडियन एयर लाइंस का विमान भी अपहृत करके कांधार(अफगानिस्तान) ले जाया गया था और बदले में नागरिकों की रिहाई के लिए भारत को आतंकी छोडऩे पड़े थे।

किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में अफगानिस्तान पर केन्द्रित इस क्षेत्रीय सुरक्षा परिषद के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री ने किया। अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय देशों के सचिवों और सलाहकारों का यह छठवां सम्मेलन था। इससे पहले भारत ने 2021 में नई दिल्ली में क्षेत्रीय परिषद के तीसरी वार्ता का आयोजन किया था। इस वार्ता में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान पहली बार शामिल हुए थे। गौरतलब है कि यह अफगानिस्तान में सुरक्षा को लेकर क्षेत्रीय देशों का एक तंत्र है। इस क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के फोरम में भारत के अलावा ईरान, रूस, चीन, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान और चीन शामिल हैं।

भारत ने अफगानिस्तान पर केन्द्रित क्षेत्रीय सुरक्षा परिषद की इस बैठक में कहा कि मानवीय सहायता प्रदान करना, समावेशी प्रतिनिधि सरकार का गठन, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला उसकी तात्कालिक प्राथमिकताओं में है। विक्रम मिस्री ने परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि भारत है अफगानिस्तान में लोगों के कल्याण के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने में विश्वास रखता है।

उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में एक लंबे समय से वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार में भूमिका निभा रहा है। अफगानिस्तान की सेना को प्रशिक्षण देने, वहां संसद भवन के निर्माण, सड़क परियोजना, जल आपूर्ति की परियोजना, स्वास्थ्य तथा देखभाल, बिजली की आपूर्तिर्त समेत 34 प्रांतों की लगभग 500 परियोजनाओं में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए वहां तीन अरब डालर से अधिक का निवेश किया है। 50 हजार टन गेंहू, 250 टन चिकित्सीय सहायता, 28 टन भूकंप के दौरान राहत सामग्री और संयुक्त राष्ट्र की अपील को ध्यान में रखकर 40 हजार लीटर मैलाथियान (कीटनाशक) की आपूर्ति की है। इतना ही नहीं 2021 से अभ तक आईसीसीआर 3000 से अधिक छात्र और 600 से अधिक छात्राओं को प्रवेश में सहायता प्रदान की है। अफगानिस्तान की स्थिति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ भी मानते हैं कि भारत की स्पष्ट नीति, मानवीय सहायता तथा पारदर्शी रवैये ने निकटवर्ती देश में लोगों का विश्वास जीतने में सफलता पाई है।

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