इस्लामाबाद : पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो की विवादास्पद फांसी का मामला सुप्रीम कोर्ट और देश की सेना (Army) के लिए अपनी पिछली गलतियों को सुधारने का एक अवसर हो सकता है।
मुख्य न्यायाधीश ईसा की यह टिप्पणी उनकी अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की नौ सदस्यीय बड़ी पीठ की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान की गई। यह मामला 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अपने ससुर भुट्टो को हत्या के मामले में उकसाने के लिए दोषी ठहराए जाने और 1979 में उनकी फांसी की सजा पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भेजे गए एक विशेष मामले पर आधारित है।
गौरतलब है, कि 51 वर्षीय भुट्टो को सात सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी दी गई थी। कई लोगों का मानना है कि यह तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल जियाउल हक के दबाव में किया गया था, जिन्होंने 1977 में भुट्टो की सरकार को गिरा दिया था। भुट्टो के समर्थकों ने बाद में उनकी फांसी को न्यायिक हत्या करार दिया था। उन्होंने शीर्ष अदालत से भुट्टो के साथ हुए अन्यायपूर्ण व्यवहार को वापस लेने की मांग की थी।
बता दें कि दो अप्रैल, 2011 को, जरदारी ने संविधान के अनुच्छेद 186 के तहत राष्ट्रपति संदर्भ के माध्यम से पीपीपी पार्टी के संस्थापक के मुकदमे की फिर से समीक्षा करने पर उसकी राय लेने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।