नई दिल्ली : शिवरात्रि यानी भगवान शिव की रात। इस बार शिवरात्रि बहुत खास योग में पड़ रही है। त्रयोदशी और चतुर्दशी की संधि पर शिवरात्रि का योग बहुत खास है। क्या आप जानते हैं कि इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। इसी दिन कहा जाता है कि मां आदिशक्ति के साथ उनका विवाह हुआ था। भगवान शिव आपके भाव मात्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर चारों पहर उनका विभन्न चीजों से अभिषेक किया जाए तो भोलेनाथ की कृपा मिलती है।।इसके अलावा आपको उन चीजों के बारे में भी पता होना चाहिए, जो भोलेनाथ पर अर्पित नहीं की जाती हैं। सबसे पहले भोलेनाथ का पूजन करते समय मन को एकाग्र कर चित्त को शान्त करना चाहिए और फिर पूजन शुरू करना चाहिए।
अगर आप भोले नाथ का व्रत कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए। व्रत रखते हुएपहली पूजा में दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल से बना मिश्रण शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। शिवरात्रि पर चार पहर पूजा का विशेष फल मिलता है। ऐसे में चार पहर पूजा कर रहे हैं, तो आप पहले पहर जल से, दूसरे पहल दही, तीसरे पहर घी, और चोथे पहर शहर से शिवलिंग का अभिषेक करें। तिलक चंदन से लगाएं और फिर भस्म अर्पित करें। फलों में बेर अर्पित करने चाहिए। शमी के पत्ते, बेलपत्र और धतूरा भी शिवजी को अर्पित करना चाहिए।
शिवलिंग पर हल्दी और तुलसी बिल्कुल भी अर्पित नहीं करना चाहिए। अगर भगवान का अभिषेक कर रहे हैं, तो शंख इनकी पूजा में इस्तेमाल न करें। भोलेनाथ पर अगर चावल अर्पित कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि ये टूटे हुए ना हों। साबुत चावल ही अर्पित करें। इसके अलावा सिंदुर ना चढ़ाएं, इसकी जगह भस्म और चंदन से उनका तिलक कर सकते हैं।