नई दिल्ली: इजरायल-हमास जंग के बीच गाजा में फिलिस्तीनियों ने 11 मार्च से रमजान के पवित्र महीने के लिए रोजा रखना शुरू कर दिया है. युद्ध के दौरान गाजा में भूख की स्थिति बदतर हो गई है. गाजा में बढ़ते मानवीय संकट को लेकर अमेरिका भी अब इजरायल पर दबाव बढ़ा रहा है. इसी बीच इजरायल के हमलों में 67 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका, कतर और मिस्र के प्रयास से रमजान महीने से पहले युद्ध विराम की उम्मीद जताई जा रही थी. समझौते के तहत दर्जनों इजरायली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई होने की संभावना थी. इस दौरान गाजा पट्टी में मानवीय सहायता बढ़ाने के लिए भी इजरायल पर दबाव बनाया गया था. हालांकि, युद्ध विराम को लेकर चल रही वार्ता पिछले सप्ताह रुक गई.
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा?
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमलों में मारे गए 67 लोगों के शव पिछले 24 घंटों में अस्पतालों में लाए गए. इन हमलों के बाद युद्ध शुरू होने के बाद से फिलिस्तीनी मरने वालों की संख्या 31,112 से अधिक हो गई है. मंत्रालय अपनी गिनती में नागरिकों और लड़ाकों के बीच अंतर नहीं करता है, लेकिन कहता है कि मृतकों में दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे हैं.
गाजा पट्टी के 80 फीसदी लोग बेघर
युद्ध तब शुरू हुआ जब हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादियों ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल में हमला किया. इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया. माना जाता है कि हमास ने अभी भी लगभग 100 लोगों को बंधक बनाकर रखा है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पांच महीनों के युद्ध ने गाजा के 23 लाख लोगों में से लगभग 80 फीसदी लोगों को बेघर कर दिया. युद्ध ने हजारों लोगों को अकाल के कगार पर धकेल दिया है.