नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर अब दूसरे देशों से आए शरणार्थियों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या होगी? सोमवार (11 मार्च) को केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया। इस संदर्भ में अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। इसके लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए गए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो चुका है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इस संदर्भ में पोर्टल भी शुरू किया जा चुका है, जिसमें पात्र व्यक्ति जाकर नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकता है। ऐसे में सबसे पहले आपको केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए पोर्टल https://Indiancitizenshiponline.nic.in पर आवेदन करने के लिए जाना होगा। जहां आपको अपनी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद आपसे आपके बारे में कुछ बुनियादी जानकारी मांगी जाएगी। इसके बाद आपके सामने एक फॉर्म खुलकर आ जाएगा। वहीं, फॉर्म में सभी जानकारियों को भरने के बाद आपको सभी दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अटैच करनी होगी। इसके बाद आपको आवेदन शुल्क भरना होगा, जो कि सिर्फ 50 रुपए है।
इन सभी प्रक्रियाओं को संपन्न करने के बाद आपको संबंधित अधिकारी के पास जाना होगा। वहां जाने के बाद आपके सभी दस्तावेजों का वेरिफिकेशन होगा। अगर आपके द्वारा जमा कराए गए सभी दस्तावेजों का सफलतापूर्वक वेरिफिकेशन हो जाता है, तो आपको संबंधित अधिकारी द्वारा निष्ठापूर्वक शपथ लेने के लिए बुलाया जाएगा।
इसके साथ ही आपको लिखित निष्ठा पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। इसके बाद संबंधित अधिकारी को भी इस पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। राज्य स्तर पर नागरिकता प्रदान के लिए ‘एम्पावर्ड कमेटी’ स्थापित की गई है, जो कि नागरिकता पाने के लिए फाइनल अथॉरिटी है। एम्पावर्ड कमेटी के चेयरमैन के हस्ताक्षर के बाद ही आवेदनकर्ता को ‘सॉर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन’ प्रदान किया जाएगा, जो आपको पोर्टल के जरिए डिजिटल फॉर्मेट में प्राप्त होगा।
वहीं, अगर आपको इंक साइन डॉक्यूमेंट चाहिए, तो आपको आवेदन करते समय ही इसका चयन करना होगा। इसके बाद आपको अंत में एम्पावर्ड कमेटी के चेयरमैन के पास अपनी नागरिकता का अंतिम दस्तावेज प्राप्त करना होगा, तो इस पूरी प्रक्रिया के तहत आप नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। बता दें कि 2019 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम लाया गया था। इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन यह लागू नहीं हो पाया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि इस कानून से भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता पर आंच आएगी, तो वहीं कई लोगों ने इस अधिनियम में मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाया था।
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट कर दिया था कि इस कानून से किसी भी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता नहीं जाएगी, लेकिन इसके बावजूद भी इसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। वहीं, अब केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से चंद माह पहले इस कानून को लागू करके बड़ा सियासी दांव चल दिया है।