नई दिल्ली: एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने हलफनामा दाखिल किया है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मामले की सुनवाई होनी है और उससे पहले रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए भी माफी मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि वह विज्ञापन पर रोक के आदेश के एक दिन बाद प्रेस कांफ्रेस के लिए भी माफी मांगते हैं. इस हलफनामे में रामदेव और बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगने की बात कही है. उन्होंने कोर्ट से कहा है कि वह अब कोई प्रेसवार्ता या सार्वजनिक बयान नहीं देंगे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन किया जाएगा. कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि भविष्य में इस प्रकार के विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे. कानून की महिमा और न्याय की महिमा को कायम रखने का वचन देते हैं. सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा और दोनों को अदालत में पेश होना है.
आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत के समक्ष दिए गए आश्वासन का उल्लंघन करने पर 27 फरवरी को पीठ ने आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी. पीठ में न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी शामिल थे. पतंजलि ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पाद की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई बयान नहीं देगा या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगा और किसी भी रूप में मीडिया में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगा.
अपनी याचिका में, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ कोविड-19 के एलोपैथिक उपचार के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में केस दर्ज है. एक वीडियो में बाबा रामदेव ने कहा था कि ऑक्सीजन या बेड की कमी से ज्यादा लोग एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से मरे हैं.