कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में जमीन हथियाने और जबरन वसूली मामलों की अदालत की निगरानी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश दिया।
संदेशखाली में अवैध भूमि कब्जाने और जबरन वसूली के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में कुल पांच जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सबमें मुख्य आरोपी अब निलंबित स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल के नेताओं का एक वर्ग है।
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह इस उद्देश्य के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने के बाद ही मामले की जांच शुरू करे।
पीठ ने यह भी कहा कि मामले में सीबीआई द्वारा पूरी जांच प्रक्रिया की निगरानी अदालत द्वारा की जाएगी। केंद्रीय एजेंसी को इस मामले में अदालत को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया गया, जिसके बाद अदालत अगली कार्रवाई पर फैसला करेगी।
खंडपीठ ने सीबीआई को एक अलग पोर्टल और ईमेल बनाने का भी निर्देश दिया, जिसके माध्यम से संदेशखाली में पीड़ित लोग अवैध भूमि कब्जा और जबरन वसूली से संबंधित अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें।
खंडपीठ ने जनहित याचिका में सभी पक्षों को अगले 15 दिन के भीतर सभी शिकायतें सीबीआई में दर्ज कराने का भी निर्देश दिया। केंद्रीय एजेंसी को शिकायतकर्ताओं की पहचान के संबंध में पूर्ण गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश देते हुए, खंडपीठ ने यह भी कहा कि अदालत को यकीन है कि निष्पक्ष जांच की जाएगी।
पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस अधीक्षक सहित उत्तर 24 परगना के जिला प्रशासन को संदेशखाली में संवेदनशील इलाकों की पहचान करने और सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया। अदालत ने जिला प्रशासन को संदेशखाली की सड़कों पर रौशनी की समुचित व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया।