भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले (Rewa district) में शुक्रवार शाम को बोरवेल के खुले गड्ढे (open pit of borewell) में गिरे छह वर्षीय मासूम (Six year old innocent boy) को बाहर निकालने के लिए 30 घंटे से रेस्क्यू जारी है, लेकिन अब तक राहत एवं बचाव दल को बच्चे का पता नहीं चल पाया है। बच्चा शुक्रवार शाम करीब चार बजे खुले बोरवेल में गिरा था। इस बाद से ही मौके पर लगातार रेस्क्यू चल रहा है। एनडीआरएफ की टीम सुरंग बनाकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है। बताया जा रहा है कि बच्चा 70 फीट गहराई पर फंसा है।
राहत एवं बचाव दल ने चार पोकलेन और आठ जेसीबी मशीनों की मदद से बोरवेल के समानांतर 70 फीट गहरा गड्ढा खोद लिया है और शनिवार को रात 11 बजे तक टनल बनाने का काम चल रहा था, ताकि उसके जरिए बच्चे तक पहुंचा जा सके। एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की पूरी टीम लगी हुई है। जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल तथा पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह मौके समेत आलाअधिकारी रातभर से मौके पर मौजूद हैं।
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि बच्चे को बचाने के प्रयास चल रहे हैं। बोरवेल की गहराई 70 फीट है। कैमरे और एलईडी के माध्यम से जानकारी ली है, उसके अनुसार 45 से 50 फीट की गहराई में बच्चे के फंसे होने की संभावना है। बोरवेल के पास टनल बनाई गई है, ताकि बच्चे तक आसानी से पहुंचा जा सके।
दरअसल, रीवा जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर जनेह थाना क्षेत्र अंतर्गत मनिका गांव में स्थानीय निवासी विजय कुमार आदिवासी का छह साल का बेटा मयंक आदिवासी शुक्रवार शाम चार बजे अपने घर के पास खेत में दोस्तों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान मयंक अचानक बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। परिजनों ने तत्काल घटना की जानकारी पुलिस को दी। घटना की सूचना मिलते ही त्योंथर एसडीम संजय जैन तत्काल रेस्क्यू दल एवं पुलिस बल के साथ घटना स्तर पर पहुंच कर राहत और बचाव कार्य जारी शुरू कराया। शाम को रीवा से एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गई।
बताया गया है कि शनिवार शाम को वोरबेल के समानांतर 70 फीट गड्ढा पूरा होने के बाद टनल बनाने का काम शुरू किया गया। समाचार लिखे जाने तक एनडीआरएफ की टीम सुरंग बनाकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हुई थी। सख्त मिट्टी आने से मशीनों की जगह मैनुअली खुदाई की जा रही है।
एसडीम संजय जैन ने बताया कि बोरवेल लगभग 70 फीट गहरा है। बच्चे को लगातार ऑक्सीजन दी जा रही है। बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। बच्चे के उपचार के लिए मेडिकल टीम भी एंबुलेंस के साथ मौके पर तैनात है।