अजमेर में यहां स्वयं प्रकट हुए थे बालाजी, 300 वर्ष से ज्यादा पुराना बालाजी मंदिर बना जन आस्था का केंद्र

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अजमेर : राजस्थान के हृदय स्थली माने जाने वाले अजमेर शहर के बीच दौलत बाग के नजदीक स्थित है 300 वर्षों से अधिक प्राचीन बालाजी मंदिर। यह मंदिर बजरंगगढ़ के नाम से विश्व विख्यात है। यहां श्रद्धालु दूरदराज से दर्शन के लिए आते हैं, हनुमान जन्मोत्सव पर यहां मेले का आयोजन होता है।

श्रीराम के परम भक्त पवन पुत्र हनुमान के जन्म उत्सव की देशभर में धूम है। इसी कड़ी में अजमेर स्थित बजरंगगढ़ बालाजी के दर्शन करने श्रद्धालु दूरदराज से आ रहे हैं। ढाई सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित बजरंगगढ़ बालाजी का मंदिर जाना आस्था का केंद्र है। 190 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं श्रद्धालु, बजरंगढ़ मंदिर तीर्थ के रूप में विश्व विख्यात है।

मंदिर के व्यवस्थापक रंजीत मल लोढ़ा ने बताया कि उनके पूर्वज कमल नैन हमीर सिंह लोढ़ा इस पहाड़ी पर घर बनाना चाहते थे। घर बनाने के लिए काम प्रारंभ किया गया लेकिन, यहां बालाजी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई। ऐसे में उन्होंने घर बनाने का इरादा त्याग दिया। घर के लिए नजदीक की पहाड़ी खरीदी गई और वहां भव्य घर का निर्माण करवाया गया। वर्तमान में यह सर्किट हाउस की इमारत है।

उन्होंने बताया कि लगभग 300 वर्ष पहले पहाड़ी पर बालाजी मंदिर का निर्माण करवाया गया था। सन 1950 से पहले मंदिर तक पहुंचाने के लिए सीढ़ियों की व्यवस्था नहीं थी। वर्तमान में मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन स्थानों पर सीढ़ियां है। उस समय मंदिर में वर्षा का जल संग्रहण करने के लिए एक कुंड बनाया गया था, इस कुंड के अतिरिक्त पेयजल के लिए और कोई स्रोत नहीं था। हालांकि अब पेयजल की व्यवस्था होने के बाद इस कुंड को ढक दिया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटिश काल में एक अंग्रेज अधिकारी अपनी पत्नी के साथ मंदिर के करीब रहने लगा था। उसने मंदिर की सुबह की पूजा अर्चना बंद करवा दी थी। इसके बाद से उसकी पत्नी की तबीयत बिगड़ने लगी थी। एक अन्य अधिकारी के कहने पर उसने यह घर छोड़ना उचित समझा और यहां से जाने के बाद उसकी पत्नी की तबीयत ठीक हो गई।
लोढ़ा ने बताया कि मराठा कल के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने दूसरी पहाड़ी पर बने घर को किराए पर लिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके घर को ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया था। उसके बाद यह घर 1956 में राजस्थान सरकार को 5 लाख 50 हजार रुपए में बेच दिया गया। वर्तमान में यह सर्किट हाउस के नाम से जाना जाता है।

लोढा ने बताया कि बजरंगगढ़ बालाजी मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव पर मंदिर में सुबह सुंदरकांड का पाठ हुआ, उसके पश्चात दोपहर 12 बजे बालाजी की महा आरती हुई। इसके बाद मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। बजरंगगढ़ बालाजी में लोगों की अटूट आस्था है, और यहां सभी की मनोकामना पूर्ण होती है।

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