कोलंबिया. ‘अरे हम क्या चाहते हैं, आज़ादी (Azadi) … फ़िलिस्तीन (Palestine) की आज़ादी… अरे छीन के लेंगे, आज़ादी… है हक हमारा, आज़ादी…’ दिल्ली (Delhi) की प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की याद दिलाने वाले ये नारे अब अमेरिका के प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में गूंज रहे हैं.
दरअसल अमेरिका के कई शीर्ष यूनिवर्सिटीज़ में इन दिनों ढेरों छात्र-छात्राएं फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी कड़ी में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भी फिलिस्तीन के समर्थन में जमकर नारेबाजी हुई. ये फिलिस्तीन समर्थक छात्र-छात्राएं इजरायल के हमले का विरोध कर रहे हैं और गाजा में तत्काल युद्ध विराम और अमेरिका द्वारा यहूदी देश को दी जा रही सहायता रोकने की मांग कर रहे हैं.
न्यूयॉर्क पुलिस विभाग की तरफ से जारी आधिकारिक बयान और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किया गया. इनमें से एक को कुर्सी से मारा गया, जबकि दूसरों पर बोतलें फेंकी गई. एनवाईपीडी ने कहा, “अधिकारियों को प्रोजेक्टाइल से निशाना बनाया गया और एक अधिकारी को कुर्सी से मारा गया.’
न्यूयॉर्क पुलिस ने 18 अप्रैल को इन प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की और 100 से अधिक छात्रों को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि इस कार्रवाई का उल्टा ही असर देखने को मिला और छात्रों ने एकजुटता दिखते हुए दूसरे विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. यह विरोध प्रदर्शन कोलंबिया यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ और देखते ही देखते अमेरिका की दूसरे कैंपस में फैल गया.
इसके बाद 22 अप्रैल को येल विश्वविद्यालय ने भी पुलिस को बुला लिया, जिसने करीब 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के कारण, कोलंबिया विश्वविद्यालय को कैंपस के गेट पर ताला लगाकर अपनी क्लासेज ऑनलाइन ट्रांसफर करने पर मजबूर होना पड़ा.
हालांकि कोलंबिया यूनिवर्सिटी को यह कदम भारी पड़ता दिख रहा है, क्योंकि सेमेस्टर के आखिरी हफ्तों में अपने मेन कैंपस में क्लासेज़ ऑनलाइन आयोजित करने को कई अभिभावक आलोचना कर रहे हैं. इन आलोचकों ने अभिभावकों से यूनिवर्सिटी प्रशासन से ट्यूशन रिफंड मांगने का आह्वान किया है.