केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश जारी है, नवीनतम मौसम विज्ञान रिकॉर्ड बताते हैं कि इस साल बारिश छह दशकों में सबसे अधिक रही है. इसने 2018 की इस सदी की बाढ़ को भी पार कर लिया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार केरल में 24 नवंबर तक 3523.3 मिमी बारिश हुई और यह 2018 की 3518.9 मिमी की तुलना में थोड़ी ज्यादा है. इस साल तीनों मौसमों- सर्दी, गर्मी और मानसून में बारिश हुई थी. जनवरी, मार्च, अप्रैल, मई, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर, इन सात महीनों में ज्यादा बारिश हुई है.
इस साल सबसे ज्यादा बारिश अक्टूबर में 590 मिमी दर्ज की गई और महीने का औसत 303 मिमी है. उत्तर पश्चिमी मानसून के दौरान, पठानमथिट्टा जिले में 186% अधिक वर्षा हुई, उसके बाद कन्नूर में 143%, कासरगोड में 141%, कोझीकोड में 135% और इडुक्की में 119% अधिक बारिश हुई है. ज्यादा पानी इकट्ठा होने के चलते भारी वर्षा ने अधिकारियों को तीन बार (29 अक्टूबर, 10 नवंबर और 14 नवंबर) इडुक्की बांध के शटर खोलने के लिए मजबूर किया. 1973 में आर्च बांध के चालू होने के बाद से ये पहली बार है.
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बारिश का मुख्य कारण आवर्ती चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र है. कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एडवांस्ड सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रडार रिसर्च के डॉ एम जी मनोज ने कहा कि देश के कई हिस्सों में बारिश का पैटर्न तेजी से बदल रहा है. हमें जलवायु परिवर्तन के खतरों का एहसास करना होगा और चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना होगा.
अरब सागर के ऊपर साइक्लोनिक सर्कुलेशन की फ्रीक्वेंसी जिसे आमतौर पर माइल्ड सी माना जाता है, कई गुना बढ़ गई है. 2001 और 2019 के बीच अरब सागर के ऊपर साइक्लोन की स्पीड में 52% की वृद्धि हुई है. इसी अवधि के दौरान बंगाल की खाड़ी में 8 प्रतिशत की कमी आई है. आईएमडी के आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि 2020-21 में नौ चक्रवात या बड़े दबाव के क्षेत्र बने थे, जिसमें से 4 अरब सागर के ऊपर थे.
आईएमडी ने पांच जिलों में ऑरेंज अलर्ट और चार अन्य में येलो अलर्ट जारी किया है. इसने कहा कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के कारण अगले चार दिनों में कुछ क्षेत्रों विशेषकर दक्षिण केरल के जिलों में भारी बारिश होगी. दो हफ्ते पहले नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने 2018 में सदी की बाढ़ के दौरान केरल की बाढ़ की तैयारी और बांध प्रबंधन में गंभीर खामियों की ओर इशारा करते हुए राज्य में एक बहस छेड़ दी थी.
रिपोर्ट का महत्व इसलिए है क्योंकि राज्य पिछले तीन वर्षों में अचानक बाढ़ और भूस्खलन को रिपोर्ट कर रहा है. 2018 की बाढ़ में 480 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद सभी बांधों को एक साथ खोलने के तरीके की व्यापक आलोचना हुई थी. मेट्रो मैन ई श्रीधरन सहित कई ने सरकारी निकायों की ओर से तथाकथित खामियों की जांच के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था.